बीजेपी के भरोसेमंद नेता बने देवेंद्र फड़नवीस
मुंबईः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस का नाम आज राजनीति में सबसे प्रमुख नामों में शुमार है। 22 वर्ष की उम्र में नागपुर में पार्षद के रूप में अपने करियर की शुरुआत करने वाले फड़णवीस ने महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी पहचान बनाई।
इंदिरा गांधी से नफरत और उनका ऐतिहासिक कदम
फड़णवीस का एक दिलचस्प पहलू यह है कि वे इंदिरा गांधी से नफरत करते थे। 1975 में जब देश में आपातकाल लागू हुआ, तब उनके पिता गंगाधर फड़णवीस को जेल भेजा गया। इस घटना से बेहद रुष्ट होकर फड़णवीस ने उस समय अपने स्कूल का नाम बदलवाने का फैसला किया, क्योंकि स्कूल का नाम “इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल” था। 22 जुलाई 1970 को एक मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे फड़णवीस बचपन से ही जिद्दी थे और राजनीति में उनकी रुचि उनके पिता के प्रभाव से ही शुरू हुई। हालांकि, जब फड़णवीस 17 साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया और उनके भाई आशीष ने राजनीति छोड़ दी। इसके बाद, उनके भाई ने ही उन्हें राजनीति में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
पार्षद से मुख्यमंत्री तक का सफर
फड़णवीस का राजनीतिक सफर बेहद प्रेरणादायक है, क्योंकि उन्होंने हमेशा मुश्किल परिस्थितियों का सामना शांति और सजगता से किया। कॉलेज के दिनों से ही वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े थे। 1992 में वे पहली बार नगरपालिका के पार्षद बने, और 1997 में सबसे यंग मेयर के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। 1999 में नागपुर विधानसभा से विधायक चुने गए और 2013 में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बने। यही कारण था कि 2014 में उन्होंने पहली बार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, 2019 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और अब 2024 में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं।
अमृता से मुलाकात और शादी का दिलचस्प किस्सा
2005 में देवेंद्र फड़णवीस की मुलाकात उनकी पत्नी अमृता से हुई। यह मुलाकात राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के सीईओ शैलेश जोगलेकर के घर पर हुई थी, जो आधे घंटे की बातचीत से 1.5 घंटे तक बढ़ गई। अमृता का कहना है कि पहले उन्हें नेताओं के प्रति नकारात्मक विचार थे, लेकिन देवेंद्र से मिलने के बाद उनका दृष्टिकोण बदल गया। अमृता को देवेंद्र एक साधारण और डाउन टू अर्थ व्यक्ति लगे। इसके बाद, 17 नवंबर 2005 को दोनों ने शादी की। अमृता पेशे से बैंकर, एक्टर और सिंगर हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी का सम्मान
फड़णवीस के राजनीति में संघर्ष और सफलता को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी सराहा था। नागपुर में गारमेंट शॉप के प्रचार में फड़णवीस के बड़े पोस्टर देख कर वाजपेयी जी ने उन्हें “मॉडल विधायक” कहकर संबोधित किया।
2019 में 80 घंटे के लिए सीएम बने थे फड़नवीस
2019 में महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बगावत के बाद उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में आ गई। बीजेपी के पास 106 विधायक थे, जबकि शिंदे के पास 39 विधायक थे। पार्टी आलाकमान के निर्देश के बाद फड़णवीस ने उपमुख्यमंत्री बनने की सहमति दी, हालांकि मीडिया में यह खबर फैली कि वे नाराज थे। लेकिन फड़नवीस ने एक इंटरव्यू में साफ किया कि वे बिल्कुल भी नाराज नहीं थे और यह उनका ही प्रस्ताव था कि शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया जाए।