जमशेदपुर/KU Teachers Association: कोल्हन यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (टाकू) ने रविवार को राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान संघ की ओर से मंत्री को कोल्हन विश्वविद्यालय एवं इसके अंगीभूत कॉलेज मैं वर्ष 2004 से लेकर 2022 व उसके बाद तक नियुक्त शिक्षकों की समस्याओं से अवगत कराया गया. साथ ही समस्याओं के यथाशीघ्र समाधान की मांग की गई।
संघ की ओर से बताया गया कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के विश्वविद्यालयों एवं अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों के लिए सातवां वेतनमान का लाभ 1 जनवरी 2016 से लागू करने की स्वीकृति देने के संबंध में संकल्प जारी किया गया है। संकल्प में शिक्षकों के लिए प्रतिवर्ष 1 जनवरी या 1 जुलाई से वार्षिक वेतन वृद्धि देने का प्रावधान किया गया है।
इसका लाभ राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को मिल रहा है। बावजूद कोल्हान विश्वविद्यालय के शिक्षक इसके लाभ से वंचित हैं।
झारखण्ड लोक सेवा आयोग से वर्ष 2022 एवं उसके बाद कोल्हान विश्वविद्यालय मुख्यालय एवं अंगीभूत महाविद्यालयों में योगदान देने वाले सहायक प्राध्यापकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि उन्हीं के साथ कोल्हान विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 एवं 2021 में योगदान देने वाले शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ मिल रहा है।
विश्वविद्यालय में वर्ष 2022 एवं उसके बाद नियुक्त शिक्षकों की सेवा संपुष्टि होने के बाद भी आज तक वेतन निर्धारण नहीं हो पाया है। हालांकि विश्वविद्यालय सेवा के अनुसार शिक्षकों का तय समय पर वेतन निर्धारण अवश्य हो जाना चाहिए। अतः 2022 एवं उसके बाद योगदान देने वाले शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ एवं उनके वेतन निर्धारण के लिए उचित अनुशंसा की जाए।
दूसरी ओर संघ ने मंत्री को बताया है वर्तमान सरकार ने राज्य कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की घोषणा की है। राज्य के सभी विभागों के कर्मचारी इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। बावजूद राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने राजकीय विश्वविद्यालयों में अभी तक पुरानी पेंशन योजना लागू करने संबंधी अधिसूचना या संकल्प जारी नहीं किया है।
इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों की ओर से आवश्यक दस्तावेज एवं वित्तीय भार आदि विभाग को कई माह पूर्व समर्पित किया जा चुका है, लेकिन अधिसूचना अभी तक लंबित है।
बताया गया है कि राज्य में विश्वविद्यालय शिक्षकों के लिए पुरानी पेंशन योजना संबंधी अधिसूचना जारी नहीं होने से वर्ष 2004 के बाद नियुक्त अनेक शिक्षक इससे प्रभावित हो रहे हैं। वर्ष 2008 में नियुक्त कई शिक्षक सेवानिवृत हो चुके हैं, लेकिन पेंशन संबंधी नियमावली के अभाव में सेवानिवृत शिक्षकों को पेंशन या मृत्यु उपरान्त उनके आश्रितों को पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।
फलतः ऐसे शिक्षक सेवानिवृत उपरान्त आर्थिक अभाव तथा बिमारी से जुझते हुए पेंशन की आस लगाए हुए हैं।
इसके साथ ही संघ ने बताया है कि वर्ष 2008 में नियुक्त शिक्षकों को वर्ष 2012 में ही पदोन्नति मिल जानी थी, लेकिन आज 16 साल बीत जाने के बाद एक भी पदोन्नति नहीं मिली है। इस वजह से राज्य में एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर की बहुत कमी है।
फलतः विश्वविद्यालयों में सेवारत शिक्षक अपने ही राज्य के विश्वविद्यालयों के प्रशासनिक पदों के लिए आवेदन तक नहीं कर पा रहे हैं। राज्य के उच्च शिक्षा के विकास के लिए समय पर शिक्षकों को पदोन्नति होना अति आवश्यक है।