जमशेदपुर/Vice Chancellor: करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में ‘ग्लोबल इश्यूज इन मल्टी डिसिप्लिनरी एकाडेमिक रिसर्च’ नामक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार शनिवार को आरंभ हुआ। कॉलेज के बहुउद्देश्यीय सभागार में आयोजित उद्घाटन सत्र में कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. अशोक कुमार झा ने आमंत्रित अतिथियों और शोधार्थियों का स्वागत करते हुए लाल बहादुर शास्त्री मेमोरियल महाविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने बताया कि जब नई शिक्षा नीति के अंतर्गत पाठ्यक्रम में परिवर्तन हुए तो कोल्हान विश्वविद्यालय में एलबीएसएम कॉलेज पहला ऐसा महाविद्यालय था, जिसने नए पाठ्यक्रम के अनुसार व्याख्यानों की श्रृंखला आयोजित की, जिनके पुस्तकाकार प्रकाशन की योजना भी है।
डॉ. अशोक कुमार झा ने कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति हरि प्रसाद केशरी का लिखित संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने कहा है कि परिवर्तन के साथ समीक्षा और मूल्यांकन का दायित्व शिक्षकों को वहन करना चाहिए। नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के दौरान आने वाले सभी दायित्वों का निर्वहन आवश्यक है।
उन्होंने इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कई अनुसंधानात्मक प्रयासों को पूरा करने पर जोर दिया। इसके साथ ही शिक्षण के क्षेत्र में डिजिटल माध्यमों के उपयोग और उसके लाभ की चर्चा की तथा सतत अन्वेषणशील रहने के साथ-साथ उच्च तकनीक से सहयोग प्राप्त करने का सुझाव दिया।
Vice Chancellor: वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत : डॉ. शुक्ला मोहंती
मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति और ओडिशा के राज्यपाल की एकेडमिक सलाहकार डॉ. शुक्ला मोहंती ने कहा कि इस तरह के सेमिनार राष्ट्रीय विकास का हिस्सा होते हैं। उन्होंने शिक्षा जगत में तकनीक के उपयोग और उसमें तीव्र गति से हो रहे परिवर्तन की चर्चा की।
उन्होंने बताया कि ग्लोबल समस्याओं खासकर जलवायु परिवर्तन, वैश्विक उष्मण, सामाजिक विषमता और असमानता, प्रवास, पर्यावरणीय समस्यायों के समाधान में सूचना प्रौद्यिगिकी बहुत उपयोगी हो सकती है। उन्होंने वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत पर जोर देते हुए बताया कि ज्ञान के सारे क्षेत्र परस्पर संबद्ध हैं। कोविड ने भी मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च की जरूरत को सामने लाया।
उन्होंने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्षा है। हमें साक्षर नहीं, बल्कि शिक्षित होना है। हर तरह की गैरबराबरी को दूर करने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर हमें एकेडमिक रिफॉर्म करना चाहिए। उन्होंने भूमंडलीकरण और आर्थिक विकास के संदर्भ में भी बहु-अनुशासनिक शैक्षणिक सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने भाषाओं के बीच अनुवाद किए जाने और स्थानीय इतिहास, भूगोल, भाषा, संस्कृति को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए।
Vice Chancellor: वैश्विक मुद्दों पर शोध एक चुनौती है : डॉ. राजेंद्र भारती
कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. राजेंद्र भारती ने मल्टीडिसीप्लिनरी रिसर्च यानी बहु-अनुशासनात्मक शोध की प्रक्रिया की चुनौतियों की ओर संकेत किया। उन्होंने कहा कि वैश्विक मुद्दों पर शोध के दौरान जिन चीजों पर जिस स्तर और गहराई से ध्यान देना चाहिए, आम तौर पर उस पर ध्यान नहीं दिया जाता।
उन्होंने अंतर-अनुशासनिक और बहु-अनुशासनिक रिसर्च की जरूरत पर जोर देते हुए उदाहरण दिया कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हैं, उनका पॉलिटिकल इंप्लीमेंट कैसा हो रहा है, सामाजिकता पर उसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इन सब चीजों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि रिसर्च की प्रक्रिया निरंतर जारी रहती है। कोई भी शोध अपने निष्कर्षों में अंतिम नहीं होता, उसमें भविष्य के शोध के लिए संभावनाएं शेष रहनी चाहिए।
Vice Chancellor: शोध क्षेत्र का विकास व विस्तार जरूरी : प्रभाकर सिंह
सोना देवी विश्वविद्यालय, घाटशिला के कुलपति प्रभाकर सिंह ने स्किल डेवलपमेंट, एआई, चैटबोट, जीटीपी जैसी तकनीकों की शिक्षा में उपयोग करने की बात की। उन्होंने नेशनल सेमिनार करने और बड़े पैमाने पर इसको इंप्लीमेंट करने की बात भी कही, ताकि शोध क्षेत्र का विकास व विस्तार हो सके। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में नई तकनीक को बढ़ावा देना ही शिक्षा में जागरूकता होगी।
Vice Chancellor: मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च से प्रत्येक पहलू का विश्लेषण संभव : डॉ. पी.के. पाणि
कोल्हान विश्वविद्यालय के पूर्व परीक्षा नियंत्रक व विश्वविद्यालय के नैक संयोजक डॉ. पीके पाणि ने राष्ट्रीय सेमिनार का बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च तब होता है, जब विभिन्न विषयों के संकाय एक सामान्य समस्या या शोध प्रश्न पर स्वतंत्र रूप से काम करते हैं।
इस दृष्टिकोण में, संकाय अनुसंधान लक्ष्यों को साझा करते हैं और एक ही समस्या पर काम करते हैं, लेकिन इसे अपने स्वयं के अनुशासन के दृष्टिकोण से देखते हैं। प्रत्येक विषय के निष्कर्ष एक-दूसरे के पूरक होते हैं। मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च का लाभ यह है कि इससे प्रत्येक पहलू का विश्लेषण संभव हो पाता है, जो अक्सर जटिल शोध समस्याओं का उत्तर देने के लिए आवश्यक होता है। इसके लिए अलग-अलग ज्ञान के अनुशासन के घेरे को तोड़कर आगे बढ़ना जरूरी होता है।
उन्होंने कहा कि मल्टी डिसीप्लिनरी रिसर्च के अंतर्गत हिस्टॉरिकल कॉन्टेक्स्ट, भाषा समस्या, कोष और सहयोग सांस्थानिक – कोष संबंधी सहयोग, इंटरेस्ट का टकराव साथ ही सांस्थानिक सहयोग कम मिलता है, फंडिंग का भी लिमिटेशन होता है। अंत में उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज, पर्यावरणीय विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य मुद्दे ये सब मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च के विषय हो सकते हैं जो सबके लिए फायदेमंद होगा।
Vice Chancellor: इनकी उपस्थिति रही उल्लेखनीय
उद्घाटन सत्र के आरंभ में दीप प्रज्ज्वलन के बाद अतिथियों, आमंत्रित विद्वानों, शोधार्थियों, विभिन्न कॉलेजों के प्राचार्यों का सम्मान किया गया। रिसोर्स पर्सन के रूप में सत्यानंद भगत, सुनीता मिश्रा, अर्चना कुमारी, गुमडा मार्री को भी सम्मानित किया गया। इस मौके पर कोल्हान विश्वविद्यालय और एलबीएसएम कॉलेज के कुलगीत का गायन हुआ।
मंच पर कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी वीके सिंह, विनयम की निदेशक उमा गुप्ता के अलावा आमंत्रित लोगों में डॉ. संजीव आनंद, विमल जलान, डॉ. आरके चौधरी, डॉ. सरोज, डॉ. इंदल पासवान, एससी गोराई, डॉ. रवानी, डॉ. जेके सिंह प्रमुख थे। उद्घाटन सत्र में ही सेमिनार के स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ।
संचालन बांग्ला विभाग की अध्यक्ष डॉ. संचिता भुईसेन और सेमिनार की संयोजक सचिव डॉ. मौसमी पॉल ने किया। अंत में एनसीसी और एनएसएस के छात्र-छात्राओं ने नृत्य पेश किया। धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार के संयोजक राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने किया।
दूसरे सत्र टेक्निकल सत्र था, जिसमें शोध-लेखकों ने अपने शोध-आलेखों को पढ़ा। कल राष्ट्रीय सेमिनार का दूसरा दिन है, जो ऑनलाइन होगा।
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