फीचर डेस्कः नवरात्र का आज का दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप, आदिशक्ति महागौरी की पूजा का दिन है। महागौरी की पूजा से भक्तों को समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है और सभी असंभव कार्य पूरे होते हैं। इस दिन की पूजा विशेष रूप से ध्यान और श्रद्धा से की जाती है।
महागौरी का महत्व
मां महागौरी ने अपनी कठोर तपस्या से गौर वर्ण प्राप्त किया और वे धन, वैभव, सुख और शांति की देवी मानी जाती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार, माता का जन्म हिमालय के राजा हिमवान और रानी मैनावती के घर हुआ था। अपनी तपस्या के कारण, माता ने भगवान शिव को पति मान लिया और उन्हें पाने के लिए कठोर साधना की।
महागौरी का स्वरूप अत्यंत उज्जवल और आकर्षक है। उनका वाहन सफेद वृषभ है और उनके हाथ में त्रिशूल और डमरू होता है, जो शक्ति और संगीत का प्रतीक है। उनकी पूजा करने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।
पूजाविधि
सामग्री एकत्र करें: पूजा के लिए लाल कपड़ा, सिंदूर, चावल, सफेद फूल, नारियल और भोग के लिए हलवा-पूड़ी, सब्जी और काले चने एकत्र करें।
पूजा करें:
सबसे पहले मां को सिंदूर और चावल अर्पित करें।
फिर सफेद फूल मां को अर्पित करें।
लाल चुनरी मां को चढ़ाएं और भोग अर्पित करें।
कन्या पूजन: अगर संभव हो, तो 9 कन्याओं का पूजन करें। अगर नहीं, तो कम से कम 2 कन्याओं का पूजन करें। उन्हें भोग लगाएं और उपहार दें।
ध्यान मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥नमस्कार मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
भोग अर्पण
महागौरी को नारियल या नारियल से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद, नारियल को ब्राह्मण को दान करें और प्रसाद सभी भक्तों में बांटें।
विशेष ध्यान
पूजा करते समय गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। इससे परिवार में प्रेम बढ़ता है और संबंध मजबूत होते हैं। इस दिन की पूजा से न केवल भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि सभी कष्टों का निवारण भी होता है। मां महागौरी की कृपा से सभी बाधाएं दूर होती हैं और भक्त अपने कार्य में सफल होते हैं।
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