Home » El Nino News Update : देश में अल-नीनो बढ़ा सकता है किसानों के लिए परेशानी, गंगा के मैदानी क्षेत्रों में थम सकती है वर्षा

El Nino News Update : देश में अल-नीनो बढ़ा सकता है किसानों के लिए परेशानी, गंगा के मैदानी क्षेत्रों में थम सकती है वर्षा

by Rakesh Pandey
El Nino may increase problems for farmers in the country, rain may stop in Gangetic plains El Nino News update
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

कानपुर : अल-नीनो की वजह से आगामी 10 से 15 दिनों में भारतीय प्रायद्वीप में हुए मानसूनी बदलाव का असर दिखाई देने लगेगा। देश के उत्तर-पूर्व मध्य एवं तटीय भागों में वर्षा में कमी आ सकती है। ऐसा चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विज्ञान विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिकों का मानना है। यह जानकारी रविवार को विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एसएन सुनील पांडे ने दी।

डॉ. पांडे का अनुमान है कि अल-नीनो किसानों की खेती में समस्या उत्पन्न कर सकता है। जून माह के अंतिम सप्ताह एवं जुलाई के प्रथम सप्ताह से देशभर में जारी लगातार भारी वर्षा की रफ्तार बहुत जल्द थमने वाली है। तीन महीने का औसत इंडेक्स बता रहा है कि प्रशांत महासागर में अल-नीनो के सक्रिय हो जाने का खतरा 98 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

भारतीय प्रायद्वीप में मानसूनी वर्षा के पैटर्न पर अगले 10 से 15 दिनों में ही इसका असर दिखने लगेगा। देश के उत्तर-पूर्व, मध्य एवं तटीय भागों में वर्षा में कमी आ सकती है। यह स्थिति पूरे अगस्त और सितंबर के पहले पखवाड़े तक जारी रहेगी। स्पष्ट है कि इससे खरीफ की फसलें भी प्रभावित हो सकती हैं। हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि पूरी तरह सूखे की स्थिति नहीं रहेगी। बीच-बीच में वर्षा होती रहेगी।

मौसम वैज्ञानिकों को पहले से ही 2023 को अल-नीनो प्रभावित होने का अंदेशा था। भारतीय मौसम विभाग ने सामान्य वर्षा का अनुमान व्यक्त किया था, लेकिन अल-नीनो के खतरे से कभी इनकार नहीं किया था। प्रशांत महासागर में अल नीनो की स्थितियां बनने लगी हैं। कई मॉडल 90 प्रतिशत से भी ज्यादा की आशंका दिखा रहे हैं।

15 जुलाई तक अच्छी वर्षा के संकेत हैं, लेकिन इसके बाद से असर दिखने लगेगा। गंगा के मैदानी क्षेत्र में प्रभाव दिखेगा। कानपुर मंडल उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, दिल्ली, पंजाब एवं हरियाणा समेत कुछ राज्यों में वर्षा की औसत मात्रा थोड़ी कम हो जाएगी।

कृषि मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार जुलाई के पहले पखवाड़े में अच्छी वर्षा के चलते पूरे महीने नदी-नाले एवं तालाबों में पानी की कमी नहीं रहेगी। तब तक बुआई हो चुकी होगी। फसल एक बार लग जाने के बाद अगर बीच-बीच में थोड़ी-थोड़ी वर्षा होती रहेगी तो असर ज्यादा नहीं पड़ेगा, लेकिन पठारी एवं ऊपरी इलाकों की फसलों को पानी की आवश्यकता पड़ सकती है।

अल नीनो के असर से भारत पहले भी दो-चार हो चुका है। वर्ष 2015 में भी इसके चलते मानसूनी वर्षा में 15 प्रतिशत तक की कमी देखी गई थी। गंगा के मैदानी हिस्सों में 25 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई थी। कुछ राज्यों में खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हुआ था।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने प्रशांत महासागर की सतह के अध्ययन के बाद भारत समेत कई देशों को अल नीनो को लेकर सतर्क किया है। भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर की सतह के तापमान में वृद्धि होने पर अल-नीनो की स्थिति बनती है। ऐसा तब होता है जब सतह का पानी औसत से 0.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म हो जाता है।

अल-नीनो इंडेक्स बता रहा है कि औसत तापमान इससे बहुत ऊपर जा चुका है। इससे खतरा बेहद मजबूत हो गया है। आईएमडी का आकलन है कि तीन महीने का औसत नीनो इंडेक्स जून के अंतिम तक 0.47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। इस महीने के अंत तक इसे बढ़कर 0.81 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंचने की आशंका है।

 

Related Articles