नई दिल्ली : दिल्ली नगर निगम (MCD) में आज मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए मतदान होगा। यह चुनाव खास इसलिए है क्योंकि पिछले 7 महीने से लंबित चुनाव अब आखिरकार होने जा रहा है। दिल्ली की राजनीति में यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि मेयर के पद पर कब्जा जमाने के बाद किसी भी पार्टी को आगामी विधानसभा चुनावों में बड़ी राजनीतिक मजबूती मिल सकती है।
7 महीने बाद चुनाव का आयोजन
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में मेयर पद का चुनाव कई महीनों से अटका हुआ था। अप्रैल 2024 में होने वाले चुनाव के बाद से ही यह प्रक्रिया लंबित थी। इसके पीछे कई कारण रहे हैं, जिनमें राजनीतिक खींचतान और अधिकारी तय करने की प्रक्रिया प्रमुख है। हालांकि, अब जब चुनाव की तारीख तय हो गई है, तो दिल्ली के 249 पार्षदों के अलावा विधायक, सांसद और अन्य राजनीतिक नेता भी इस महत्वपूर्ण चुनावी प्रक्रिया में शामिल होंगे।
एमसीडी के पीठासीन अधिकारी, जो कि बीजेपी के पार्षद सत्या शर्मा हैं, आज दोपहर 2 बजे मतदान कराएंगी। सत्या शर्मा की नियुक्ति दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) ने की थी। वे सीनियर मोस्ट पार्षद हैं और उनके द्वारा चुनाव कराए जाने की प्रक्रिया को सभी पार्टी कार्यकर्ता मानते हुए चुनाव में हिस्सा लेंगे।
AAP और BJP के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा
दिल्ली के मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच तीव्र प्रतिस्पर्धा है। AAP ने महेश खीची को मेयर उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है, जो देव नगर के वार्ड 84 से पार्षद हैं। वहीं, बीजेपी ने शकूरपुर से किशन लाल को मेयर पद का उम्मीदवार बनाया है। डिप्टी मेयर पद के लिए AAP ने रविंदर भारद्वाज को नामित किया है, जबकि बीजेपी ने नीता बिष्ट को इस पद के लिए उम्मीदवार के रूप में पेश किया है।
यह चुनाव केवल दो प्रमुख दलों के बीच न होकर एक राजनीतिक महत्व भी रखता है। चुनाव के परिणामों से आगामी विधानसभा चुनावों में दोनों ही दलों के लिए माहौल तैयार हो सकता है।
विशेष दिशा-निर्देश और मतदान प्रक्रिया
चुनाव के लिए खास दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मतदान के दौरान एमसीडी सदन में पार्षदों को मोबाइल फोन साथ लाने की अनुमति नहीं होगी, ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और निर्बाध रूप से चल सके। यह कदम खासकर आम आदमी पार्टी के पार्षदों द्वारा पिछले दिनों हुए स्थायी समिति के चुनाव में विरोध के बाद उठाया गया है। इस बार, चुनाव में केवल एमसीडी के पार्षद ही नहीं, बल्कि दिल्ली के 14 विधायक, 7 लोकसभा सांसद और 3 राज्यसभा सांसद भी मतदान करेंगे।
5 महीने का होगा नए मेयर का कार्यकाल
दिल्ली नगर निगम के मेयर चुनाव में एक और दिलचस्प पहलू यह है कि जिस नए मेयर का चुनाव होगा, उसका कार्यकाल सिर्फ 5 महीने का होगा। यह इसलिए क्योंकि चुनाव में हुई देरी के कारण नए मेयर को बहुत कम समय के लिए कार्य करने का मौका मिलेगा। इसके बाद अगला चुनाव फिर से नियमित रूप से आयोजित किया जाएगा। इस दौरान, दिल्ली में मेयर पद पर एक दलित उम्मीदवार के चुने जाने की संभावना भी जताई जा रही है, हालांकि दोनों प्रमुख दल इसके लिए लगातार एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं।
कांग्रेस का मुद्दे में सीमित दखल
कांग्रेस पार्टी का इस चुनाव में प्रभाव कम रहने का अनुमान है। हालांकि पार्टी ने चुनावी मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए कुछ रणनीतियां बनाई हैं, लेकिन उसके पास बहुमत की संभावना नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर हुई है और इसका असर इस चुनाव में भी देखने को मिल सकता है।
क्या कहता है दिल्ली नगर निगम एक्ट
दिल्ली नगर निगम के एक्ट के मुताबिक, मेयर का चुनाव हर साल अप्रैल में होता है। दिल्ली नगर निगम के आम चुनाव दिसंबर 2022 में हुए थे, जिसमें AAP ने बहुमत प्राप्त किया था। इसके बाद फरवरी 2023 में डॉ. शैली ओबेरॉय को मेयर बनाया गया। लेकिन 2024 में हुए चुनावों में देरी के चलते यह चुनाव समय पर नहीं हो सके। दिल्ली नगर निगम का एक्ट यह भी कहता है कि मेयर के पद के लिए पहले साल महिला पार्षद का चुनाव होता है, दूसरे साल जनरल श्रेणी का और तीसरे साल अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित होता है।
बीजेपी की अपील
बीजेपी के मीडिया प्रमुख प्रवीण शंकर कपूर ने आम आदमी पार्टी के पार्षदों से अपील की है कि वे चुनाव में वोट डालते समय अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनें। उनका कहना है कि पिछले चुनावों में जिस प्रकार से दलित मेयर चुनाव टाला गया, वह AAP के पार्षदों के लिए निराशाजनक हो सकता है। कपूर का कहना है कि वे उम्मीद करते हैं कि AAP के पार्षद भी विकास के लिए वोट देंगे और चुनावी प्रक्रिया को शांति से संपन्न कराएंगे।
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