हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : 17 नवंबर को देशभर में राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है। मिर्गी के मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं। लगभग 1.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में हैं। इसके प्रति लोगों में जागरूकता की भारी कमी है। जमशेदपुर के जाने-माने न्यूरो फिजिशियन डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस बीमारी को लेकर जागरूकता की भारी कमी है। अब भी लोग मिर्गी का दौरा पड़ने पर सबसे पहले ओझा-गुनी के पास जाते हैं। जब वहां ठीक नहीं होते, तब वे डॉक्टर के पास पहुंचते हैं, तब तक मरीज की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है।
मिर्गी छूआछूत की बीमारी नहीं
डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि मिर्गी को लेकर लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसे लोग छूआछूत की बीमारी से जोड़कर देखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। मिर्गी छूआछूत की बीमारी नहीं है।
इस तरह से पेट में पहुंचता है कीड़ा
मिर्गी बीमारी होने के वैसे तो कई कारण हैं, लेकिन इसमें एक प्रमुख कारण न्यूरो सिस्टी सरकोसिस भी है। डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि न्यूरो सिस्टी सरकोसिस एक तरह का कीड़ा होता है, जो धनिया, गाजर, मूली, चुकंदर, शलजम आदि जमीन के अंदर पैदा होने वाली सब्जियों में होती है। इसे बेहतर तरीके से साफ नहीं करने पर यह पेट से होते हुए दिमाग तक पहुंच जाता है, जो नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है।
बचने के लिए करें ये उपाय
झारखंड-बिहार में यह कीड़ा मिर्गी का सबसे बड़ा कारण है। इससे बचने के लिए भूमिगत सब्जियों को उपयोग से पहले अच्छी तरह से धोना चाहिए। कई बार गंदे पानी के माध्यम से भी ये कीड़े आपके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद आपकी परेशानी बढ़ने लगती है।
मिर्गी बीमारी क्या है?
डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है। इस समस्या में मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं की गतिविधियां बाधित होने के कारण व्यक्ति को दौरे पड़ने लगते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति असामान्य व्यवहार कर सकता है।
मिर्गी का दौरा आने का ये भी हैं कारण
– सिर पर गंभीर चोट।
– आनुवांशिक वजह।
– ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट
– अल्जाइमर (भूलने वाली एक बीमारी है)
– एड्स मरीजों में भी मिर्गी का दौरा पड़ता है।
मिर्गी का दौरा पड़ने पर क्या करें?
डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर कभी भी जूता-चप्पल नहीं सूंघाएं। इससे परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाती है। किसी भी व्यक्ति को मिर्गी का दौरा आने पर उसे खुली हवा में छोड़ दें। मुंह में कुछ भी नहीं दें। एक करवट सुला दें। झाड़-फूंक के लिए ओझा-गुनी के पास नहीं ले जाएं। यह अंधविश्वास है और इससे मरीज को अधिक नुकसान हो सकता है।
मिर्गी के क्या हैं लक्षण
– शरीर में सनसनी महसूस होना।
– शरीर के किसी एक अंग में हरकत होना।
– अचानक से बेहोशी होना।
– चक्कर आना।
– खाने का मन नहीं करना।
मिर्गी का इलाज क्या है?
डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि मिर्गी का इलाज कई तरह से होता है। मरीजों की स्थिति पर यह निर्भर करता है। इलाज में लाइफस्टाइल में बदलाव, एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं, मिर्गी की दवाएं, मस्तिष्क सर्जरी सहित अन्य शामिल हैं। डॉ. एमएन सिंह कहते हैं कि मरीज की पहचान जितना जल्दी हो इलाज में उतना ही आसानी होता है।