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परिवार नियोजन का ऑपरेशन फेल, महिला ने दिया बच्चे को जन्म

by Rakesh Pandey
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कतरास : Family planning operation failed : नसबंदी के बाद भी बच्चा पैदा होने लगे तो जनसंख्या नियंत्रण की मुहिम को कामयाबी कैसे मिलेगी। ऐसा ही एक मामला धनबाद जिले के राजगंज स्थित दलुडीह पंचायत में सामने आया, जहां दलुडीह के अमन तुरी की पत्नी ममता देवी ने बाघमारा स्थित सीएचसी में एक साल पहले 2023 में नसबंदी करा ली थी, जिसके बाद सोमवार को महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है। अब महिला का कहना है कि बच्चे के भरण-पोषण के लिए सरकार मुआवजा दे।

महिला फ़िलहाल एसएनएमएमसीएच धनबाद के प्रसूता विभाग में भर्ती है। उसने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलते ही वह मामले को लेकर उपायुक्त से गुहार लगाएगी। उसका कहना है कि जब वह नसबंदी करा चुकी थी, तो इसके बाद भी वह गर्भवती कैसे हो गई, उसका पहले से एक बेटा और एक बेटी है। पति दूसरे राज्य में मजदूरी करते हैं, जिससे किसी तरह से उसका घर चलता है। अब ऐसी परिस्थिति में तीसरे बच्चे का भरण-पोषण वो कैसे करेगी।

यहां बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकारें लगातार लोगों को जागरूक करने में लगी हैं। परिवार नियोजन योजना के तहत नसबंदी अथवा बंध्याकरण कराने वाले को स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है। इसी बीच सामने आए इस मामले ने सभी को हैरान कर दिया है। अब स्वास्थ्य विभाग इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। कोई भी कुछ कहने से साफ़ इंकार कर रहा है।

Family planning operation failed : बाघमारा सीएचसी में की गई थी नसबंदी

ममता का पहले से 2 बच्चा है। स्वजनों ने बताया कि छठ पूजा के बाद परिवार नियोजन का ऑपरेशन हुआ था। निमकीटांड की रहने वाली सहिया चिंता देवी उसे बाघमारा ले जाकर ऑपरेशन कराई थी। सास मीना देवी ने बताया कि कुछ माह पूर्व पतोहू का पेट देखकर उसे एक स्थानीय चिकित्सक के पास लेकर गई।

इधर सभी निश्चित थे कि ऐसी कोई बात नहीं होगी। उक्त चिकित्सक ने गैस की दवा दे दी, लेकिन पेट का उभार बढ़ता चला गया। इसके बाद सहिया को जानकारी दी। दबाब देने के बाद महिला को अल्ट्रासाउंड जांच के लिए ले गई। पता चला कि छह माह की गर्भवती है। जांच के एवज में उसने एक हजार रुपये भी घरवालों से वसूला। मामला सामने आने के बाद प्रसव का जिम्मा लिया। लेकिन जब समय आया तो उसने हाथ खड़ा कर दिया और प्रसव के दिन परिजनों का फ़ोन ही नहीं उठाया।

इस मामले में स्वास्थ्य सहिया चिंता देवी का पक्ष जानने के लिए उसके मोबाइल पर कई बार फोन किया गया, लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया।

बंध्याकरण के बाद कभी ऐसा होता नहीं है, सैकड़ों में एक दो केस ही ऐसा देखने को मिलता है, जब बंध्याकरण फेल हो जाता है। हालांकि यह बिल्कुल रेयर है, इस तरह की घटना का प्रतिशत 0.01 होता है। इस मामले में संबंधित चिकित्सक ही कुछ कह पाएंगे। डॉ. राजलक्ष्मी तुबिद, एचओडी, एसएनएमएमसीएच

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