- उत्तर-पूर्वी दिल्ली की साइबर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, 5 करोड़ का मनी ट्रेल बरामद
नई दिल्ली: निवेश के नाम पर 32.3 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी करने वाले अंतरराज्यीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश करते हुए उत्तर-पूर्वी दिल्ली की साइबर पुलिस ने पांच जालसाजों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह चीन और कंबोडिया से संचालित हो रहे साइबर अपराध नेटवर्क से जुड़ा हुआ था। पुलिस ने आरोपियों के पास से दो मोबाइल फोन, कई डिजिटल सबूत और पांच करोड़ रुपये की मनी ट्रेल बरामद की है।
आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) हरेश्वर स्वामी के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सूरज चौधरी (अलीगढ़), विक्की बोरा (प्रयागराज), गिरीश पांडे और अविनाश कुमार (कानपुर) तथा मक्खन उर्फ अंकुर उर्फ निक (बस्ती) के रूप में हुई है। इन पांचों को दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, बस्ती, कानपुर और उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में ताबड़तोड़ छापेमारी कर पकड़ा गया।
गिरोह का सरगना और उसका नेटवर्क
इस गिरोह का सरगना विक्की बोरा था, जो सीधे तौर पर चीनी और कंबोडियाई रैकेट संचालकों के संपर्क में था। वह भारत में साइबर ठगी के नेटवर्क को संचालित करता था। गिरोह का एक अन्य सदस्य गिरीश पांडे, जो आईआईटी रुड़की से एथिकल हैकिंग और वाणिज्य में स्नातक है, शेल कंपनियां बनाकर अवैध धन का शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) करता था।
ठगी के तौर-तरीके
सूरज चौधरी कमीशन के बदले बैंक खाते मुहैया कराता था और फर्जी कंपनियों के निर्माण में सहयोग करता था। मक्खन उर्फ अंकुर भारत में स्थित शेल कंपनियों और कंबोडियाई हैंडलर के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाता था। ये सभी मिलकर ठगी से अर्जित रकम को क्रिप्टोकरेंसी, हवाला और अन्य माध्यमों से कंबोडिया भेजते थे।
शिकायत से लेकर गिरफ्तारी तक की कार्रवाई
22 अप्रैल को करावल नगर निवासी पीड़ित आशीष भारद्वाज ने 32.3 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। आरोपियों ने उन्हें निवेश में मोटे मुनाफे का लालच देकर इस रकम की ठगी की थी। शिकायत दर्ज होने के बाद साइबर पुलिस ने बैंक खातों, कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) और डिजिटल ट्रांजैक्शन का विश्लेषण कर आरोपियों का सुराग लगाया।
पुलिस जांच जारी
तकनीकी टीम की मदद से आरोपियों के ठिकानों का पता लगाकर संबंधित राज्यों में छापेमारी की गई और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस इस मामले में अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और विदेशी कनेक्शन की भी जांच कर रही है।
पुलिस का कहना है कि ठगी से जुड़ी रकम का बड़ा हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के जरिए विदेश भेजा गया है, और इस संबंध में विदेशी एजेंसियों से संपर्क किया जा रहा है।