Mahakumbh 2025 : प्रयागराज में महाकुंभ के शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। इससे संबंधित तैयारियां अपने आखिरी पड़ाव पर हैं। उत्तरप्रदेश की योगी सरकार इस महाकुंभ पर पूरे 7000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। इसमें से 1600 करोड़ रुपये वॉटर एंड वेस्ट मैनेजमेंट पर खर्च किए जा रहे हैं और इस 1600 करोड़ रुपये में से 316 करोड़ रुपये महाकुंभ को खुले में शौच से बचाने के लिए खर्च किए गए हैं। टॉयलेट और यूरिनल्स बनाने और उनकी देखभाल में भी खर्च किए गए हैं। मेले में 1 लाख 45 हजार टॉयलेट बनाए गए हैं।
प्रत्येक 12 वर्ष में प्रयागराज में आयोजित होने वाला महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। देश के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस बार 40 करोड़ से अधिक लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही करीबन 50 लाख तीर्थयात्रियों और साधुओं के पूरी महाकुंभ के अवधि के दौरान पूरे समय शिविरों में रहने की संभावना है। गंगाजी के तट पर 10 हजार एकड़ में टेंट और आलीशान डोम बनाए हैं, जिसमें लोग आने लगे हैं।
भाभा परमाणु केंद्र और इसरो करेगा वेस्ट मैनेजमेंट
इन सबके साथ योगी सरकार के लिए इस भारी भरकम भीड़ को मैनेज करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसके साथ ही इस धार्मिक आयोजन के दौरान प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले कचरे का प्रबंधन और ट्रीटमेंट भी आवश्यक होगा। प्रयागराज में पिछला महाकुंभ 12 साल पहले 2013 में हुआ था। तब प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार थी और लगभग 12 करोड़ तीर्थयात्री मेले में आए थे। खबर है कि मेला प्रबंधन ह्यूमन वेस्ट (मल) और ग्रेवॉटर (खाना पकाने, कपड़े धोने और नहाने से निकलने वाले दूषित जल) से निपटने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित तकनीक का इस्तेमाल करने वाला है।
25 सेक्टर में बांटा गया है मेला ग्राउंड को
मैनेजमेंट का अनुमान है कि मौनी अमावस्या जैसे खास मौकों के वाले दिन पर 50 लाख के करीब श्रद्धालु एकत्रित हो सकते हैं, जिससे लगभग 160 लाख लीटर मल और लगभग 24 सौ लीटर ग्रेवाटर उत्पन्न होने की संभावना है। महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए राज्य सरकार ने दिसंबर 2024 में मेला क्षेत्र को 76वें जिले के तौर पर नोटिफाई किया था। मेला ग्राउंड को 25 सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक सेक्टर शहर के एक वार्ड की तरह काम करेगा। इसमें सबका अलग-अलग वाटर सप्लाई, ड्रेनेज सिस्टम और वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर होगा यानी पूरे महाकुंभ को एक प्लान्ड सिटी की तरह डेवलप किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।