चाईबासा : संयुक्त बिहार सरकार में आदिवासी कल्याण मंत्री रह चुके गोवर्धन नायक 85 वर्ष का निधन गुरुवार संध्या 8 बजे अपने पैतृक आवास कुमारडुंगी प्रखंड के बड़ा रायकमन गांव में हो गया। वह लगभग 2-3 साल से बीमार चल रहे थे। नायक का अंतिम संस्कार शुक्रवार को गांव में ही किया जायेगा। वह काफी सरल स्वभाव के नेता के रुप में जाने जाते थे। वह अपने पीछे चार बेटा व दो बेटी का भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं। पश्चिम सिंहभूम जिले के मझगांव विधानसभा से विधायक रह चुके गोवर्धन नायक की जीवनशैली उस वक्त भी सरल थी जब मंत्री थे।
तत्कालीन बिहार में लालू प्रसाद की सरकार में उन्हें आदिवासी कल्याण मंत्री बनाया गया था। 1995 के दौर में इलाके में इतने लोकप्रिय थे कि एक आवाज पर स्थानीय जनता और नेता उमड़ पड़ते थे। झारखंड राज्य अलग होने के बाद धीरे-धीरे वह राजनीति से दूर होते चले गये। राजनीतिक को अलविदा कहने के बाद वह खेती किसानी में रच-बस गए थे। बिहार सरकार में मंत्री होने के बावजूद वह हमेशा चप्पल पहन कर गांव या शहर में पैदल निकल पड़ते थे। एक हाथ में धोती और दूसरे में तौलिया नायक की पहचान थी।
उनकी लोकप्रियता के कारण ही तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद ने उन्हें आदिवासी कल्याण मंत्री बनाया था। गोवर्धन नायक के निधन की जानकारी होते ही राजनीतिक दलों के नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई। क्योंकि बिहार सरकार में मंत्री रहे गोवर्धन नायक कई वर्तमान नेताओं को राजनीतिक की तालीम भी दी थी।