गयाः बिहार के गया जिले स्थित गयाजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कोड GAY को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद डॉ. भीम सिंह ने राज्यसभा में इस एयरपोर्ट कोड को “अपमानजनक और असहज” बताया। उन्होंने इसमें बदलाव की मांग की है। दूसरी ओर, LGBTQ समुदाय के एक्टिविस्ट्स ने सांसद के बयान को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया और उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा है।
‘GAY’ शब्द सामाजिक तौर पर असहज
राज्यसभा में प्रश्न के माध्यम से बीजेपी सांसद ने कहा कि गयाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट का कोड GAY (गे) है, जिसे कई लोग अंग्रेजी भाषा में अपमानजनक और असहज मानते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस कोड को बदला जाना चाहिए।
नगर विमानन मंत्रालय ने दिया स्पष्ट जवाब
इस पर केंद्रीय नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने जवाब में कहा कि यह कोड अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) द्वारा निर्धारित किया गया है और इसे केवल विशेष परिस्थितियों में ही बदला जा सकता है। मंत्री ने यह भी बताया कि एयर इंडिया ने भी पहले इस कोड को बदलने की कोशिश की थी, लेकिन IATA ने नियमों का हवाला देते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि कोड बदलने की प्रक्रिया केवल सुरक्षा जैसे गंभीर कारणों की स्थिति में ही होती है।
सांसद ने फिर भी किया विशेष अनुरोध का आग्रह
डॉ. भीम सिंह ने आग्रह किया कि भारत सरकार को IATA से विशेष अनुरोध कर इस कोड को बदलवाने की दिशा में पहल करनी चाहिए, क्योंकि यह संस्कृतिक रूप से असहज प्रतीत होता है।
LGBTQ समुदाय ने सांसद के बयान पर जताई आपत्ति
सांसद को माफी मांगनी चाहिए: एक्टिविस्ट्स
सांसद के इस बयान पर LGBTQ समुदाय की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। एक्टिविस्ट अरविंद नारायण ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाने के ऐतिहासिक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने साफ किया है कि LGBTQ लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है।
उन्होंने कहा कि डॉ. भीम सिंह को सुप्रीम कोर्ट के उस निर्णय को पढ़ना चाहिए जिसमें कहा गया है कि राज्य को संवैधानिक नैतिकता के तहत काम करना चाहिए, न कि व्यक्तिगत मान्यताओं के आधार पर। उन्हें LGBTQ समुदाय से माफी मांगनी चाहिए।
GAY कोड में कोई गलती नहीं: राजेश श्रीनिवास
एक अन्य LGBTQ एक्टिविस्ट राजेश श्रीनिवास ने एयरपोर्ट कोड को बदलने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि GAY शब्द में सांस्कृतिक रूप से कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है और इसमें किसी बदलाव की कोई आवश्यकता नहीं है।
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