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आंध्र प्रदेश में नीदरलैंड की तकनीक से निपटेंगे बाढ़ से, कैसे करेगा काम GCS

सरकार ने राज्य में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए नीदरलैंड के ग्रैविटी कनाल सिस्टम (GCS) का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इस तकनीक का काम ग्रेविटी के माध्यम से नदियों और जलाशयों के पानी को निर्धारित स्थान पर ले जाना है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। सोमवार को आंध्र प्रदेश कैपिटल रीजन डेवलेपमेंट अथॉरिटी (CRDA) ने राज्य की विकास परियोजनाओं को लेकर कुछ अहम फैसले लिए। जिसके तहत रिंग रोड निर्माण और जलाशयों की प्रणाली के इस्तेमाल से संबंधित फैसले शामिल है। लेकिन इन सबके बीच नायडू सरकार के एक फैसले ने सबका ध्यान आकर्षित किया है।

नायडू की अध्यक्षता में हुई बैठक

नायडू सरकार राज्य को बाढ़ से बचाने के लिए नीदरलैंड की तकनीक को अपनाने पर विचार कर रही है। सरकार ने राज्य में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए नीदरलैंड के ग्रैविटी कनाल सिस्टम (GCS) का इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस फैसले से संबंधित बैठक की अध्यक्षता खुद की।

वर्ल्ड बैंक ने जारी किए 15000 करोड़

नगरपालिका एवं शहरी विकास मंत्री पी नारायण ने बताया कि वर्ल्ड बैंक ने अमरावती के लिए 15000 करोड़ रुपये जारी करने पर हामी भर दी है। लेकिन वर्ल्ड बैंक ने इसके लिए शर्त रखी है कि राज्य सरकार को अपनी बाढ़ रोकथाम योजनाओं को जल्द से जल्द क्रियान्वित करना होगा। नारायण ने बताया कि सितंबर में बाढ़ से राजधानी में स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई थी।

इस योजना के तहत अमरावती में 217 किलोमीटर के विभिन्न जलाशयों का विस्तार किया जा रहा है और साथ ही कोंडावेती और पलावागु में ग्रैविटी कनाल रिजरवॉयर का भी निर्माण कार्य जारी है और नीरुकोंडा, कृष्णयापलेम, सखामुरु और वुंडावल्ली में स्टोरेज रिजरवॉयर का निर्माण चल रहा है।

क्या है नीदरलैंड का जल प्रबंधन सिस्टम

नीदरलैंड हमेशा से नहरों के इस्तेमाल से जल प्रबंधन करता आया है, जिसमें उसे एक्सपर्ट कहा जाता है। इस प्रक्रिया के तहत नीदरलैंड में ग्रेविटी का इस्तेमाल कर पानी को नहरों या नदियों से खेतों या रिजरवॉयर की ओर मोड़ा जाता है। ग्रेविटी कनाल सिस्टम प्रमुख रूप से सिंचाई प्रणाली और जल निकासी की एक व्यवस्था है, जो लॉ ऑफ ग्रेविटी के सिद्धातं पर काम करती है।

इसमें पानी को कंट्रोल करने के लिए किसी बाहरी एनर्जी की जरूरत नहीं होती। बल्कि पानी ऊपर से नीचे की ओर बहता है। इससे फ्लो ऑफ वॉटर नैचुरल होता है। 2017 में टीसीएस और डच कंसल्टेंटस द्वारा अमरावती के लिए रिजरवॉयर और आतंरिक जलमार्गों की डिजाइन सब्मिट की गई थी।

भारत में पहले से ही कई जगहों पर होता है प्रयोग

भारत में ग्रेविटी कनाल सिस्टम का उपयोग पहले से ही किया जाता रहा है। जैसे गंगा नहर, इंद्रप्रस्थ नहर इत्यादि। इसकी लागत अपेक्षाकृत कम है, जिसका कारण पंपिंग का इस्तेमाल न होना है। इसमें इलेक्ट्रिसिटी का उपयोग नहीं होता है, सलिए यह पर्यावरण के अनुकूल है।

ग्रेविटी कनाल सिस्टम कैसे रोकेगा बाढ़ को

इस तकनीक का काम ग्रेविटी के माध्यम से नदियों और जलाशयों के पानी को निर्धारित स्थान पर ले जाना है। जब भी बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न होगी यानि जब नदियों और जलाशयों में जलस्तर बढ़ेगा, तब इस सिस्टम की मदद से पानी को सुचारू रूप से निचले क्षेत्रों में निकाला जा सकेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि बढ़ा हुआ पानी निचले स्तर में न पहुंचे और बाढ़ की समस्या से निपटा जा सकेगा।

आंध्र प्रदेश हमेशा जूझता आया है बाढ़ से

बारिश के मौसम में आंध्र प्रदेश के कई हिस्सों में जल जमाव हो जाता है और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। गोदावरी, कृष्णा, वंशधारा और नागावली के बाढ़ क्षेत्र पूरी तरह से जलमग्न हो जाते है। चक्रवात के कारण होने वाली भारी बारिश बाढ़ के कारणों की प्रमुख वजह है। 2006 की गोदावरी बाढ़, 2009 की कृष्णा बाढ़ और 2018 और 2019 की बाढ़ राज्य में हाल के वर्षों में देखी गई, जिससे राज्य में विनाशकारी घटनाएं हुई।

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