जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के जमशेदपुर स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में अध्यनरत छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण भोजन नहीं मिल रहा है। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में हिस्सा लेने पहुंची जिला शिक्षा अधीक्षक नीशु कुमारी के समक्ष अभिभावकों ने यह रखी। अभिभावकों ने बताया कि विद्यालय में नॉनवेज और फल बंद कर दिया गया है। छात्राओं को हर दिन दिये जाने वाला दूध नहीं मिल रहा है। किसी तरह हफ्ते में एक या दो दिन छात्राओं को दूध मिल रहा है। पूर्व में सुबह दिए जाने वाले नाश्ते के मैन्यू में भी कटौती की गई है। नाश्ते और खाने के समय में काफी देरी हो रही है है। जिला शिक्षा अधीक्षक नीशु कुमारी ने इस बारे में विद्यालय की शिक्षिकाओं से जानकारी मांग। विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं से पूछताछ की। छात्राओं ने अभिभावकों की ओर से की गई शिकायत को सही कर दिया। छात्राओं ने साफ-साफ कहा कि उन्हें पर्याप्त खाना नहीं मिल रहा है। पूर्व में कराये गये जांच में स्कूल की अधिकांश बच्चियों के एनीमिया पीड़ित होने की पुष्टि हो चुकी है। इसके बावजूद छात्राओं को मानक के अनुसार क्वालिटी फूड उपलब्ध नहीं कराया जा रहा।
डीएमसी में शिक्षा विभाग का अधिकारियों की लगाई क्लास
डीएसइ नीशु कुमारी ने झारखंड शिक्षा परियोजना की पूर्वी सिंहभूम इकाई में कस्तूरबा विद्यालय के को-ऑर्डिनेशन की जमकर क्लास लगाई। कस्तूरबा विद्यालय का समन्वय करने वाली पदाधिकारी से अवस्था के संबंध में पूछताछ की। डीएसइ ने पूछा कि क्या आप लोग जमशेदपुर में चाईबासा कस्तूरबा विद्यालय जैसे हालात पैदा करना चाहते हैं। दरअसल चाईबासा कस्तूरबा गांधी विद्यालय की व्यवस्था के खिलाफ बच्चियों में भारी आक्रोश देखा गया था। इसके बाद प्रशासन को मामले का संज्ञान लेना पड़ा। डीएसई की पूछताछ मामले में परियोजना की ओर से बताया गया कि कस्तूरबा विद्यालय के बजट में कटौती कर दी गयी है। इस कारण पहले की तरह छात्राओं को पर्याप्त आइटम नहीं मिल पा रह है। डीएसइ ने बजट राशि को लेकर प्रश्न खड़ा किया। कहा कि क्या सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही राशि में छात्राओं को पेटभर भोजन उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है।
पूर्व डीसी विजय जाधव ने की थी जांच, भोजन के मैन्यू में कराया था सुधार
पूर्वी सिंहभूम की पूर्व उपायुक्त विजय जाधव ने कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की व्यवस्था में सुधार के लिए सख्त कदम उठाए थे। उन्होंने विद्यालय में देर रात छापेमारी कर छात्राओ को उपलब्ध कराया जा रहे खाने की गुणवत्ता की जांच की थी। विद्यालय में साफ सफाई पर सवाल खड़े किए थे। अव्यवस्था के लिए कार्रवाई करते हुए वार्डन को पद से हटा दिया था। छात्राओं के खाने की गुणवत्ता में सुधार कराया था। उपायुक्त के तबादले के बाद एक बार फिर व्यवस्था पटरी से उतर गई।