नई दिल्ली : वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने अहम आदेश दिया। न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में सुनवाई 13 फरवरी को की जाएगी, और किसी भी तरह का स्थगन नहीं दिया जाएगा।
यह मामला गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगाए जाने से जुड़ा है, जिसमें 59 लोग मारे गए थे और इसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस घटना के बाद से कई अपीलें उच्चतम न्यायालय में दायर की गई हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील
गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा अक्टूबर 2017 में दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए गुजरात सरकार और अन्य दोषियों ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने कई दोषियों की सजा को बरकरार रखा था और 11 दोषियों की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने मृत्युदंड को फिर से बहाल करने की अपील की है।
केस में समय बढ़ाने से इनकार
गुजरात सरकार के वकील ने मामले की सुनवाई के लिए और समय देने की मांग की, लेकिन न्यायालय ने इसे स्वीकार नहीं किया। न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने कहा, “यह मामला पहले ही पांच बार स्थगित हो चुका है। हम इस मामले को स्थगित नहीं करेंगे और इसकी सुनवाई जल्द से जल्द करेंगे।”
साथ ही, दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि मृत्युदंड की सजा को उम्रकैद में बदलने के फैसले पर पहले सुनवाई होनी चाहिए, लेकिन न्यायालय ने इस पर कोई स्थगन देने से इनकार किया।
उच्चतम न्यायालय में सुनवाई का अगला दौर
इस मामले की सुनवाई 13 फरवरी को निर्धारित की गई है। न्यायालय ने यह भी कहा कि माफी की याचिकाओं के साथ इस मामले की सुनवाई नहीं की जाएगी, और पहले दोषियों के दोष की पुष्टि की जाएगी, उसके बाद सजा पर विचार किया जाएगा।