गोरखपुर : गोरखपुर जंक्शन पर 12 अप्रैल से 4 मई तक यार्ड रिमाडलिंग का काम किया जाएगा, जिसके चलते 24 दिनों तक ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहेगा। रेलवे प्रशासन ने इस काम के लिए रेलवे बोर्ड से अनुमति प्राप्त कर ली है। इस दौरान गोरखपुर जंक्शन की यार्ड में नान इंटरलाकिंग की प्रक्रिया चलेगी, जिसके कारण बड़ी संख्या में ट्रेनों का संचालन रुक जाएगा। इसका प्रभाव विशेष रूप से 100 से अधिक ट्रेनों पर पड़ेगा, जिनकी सेवाएं रद्द हो सकती हैं।
किए जाएंगे कई महत्वपूर्ण बदलाव
यार्ड रिमाडलिंग के इस कार्य में ट्रेनों की गति, समय पालन और सुरक्षा में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जाएंगे। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, 4 मई को रेल संरक्षा आयुक्त इस रिमाडलिंग का निरीक्षण करेंगे, और इसके बाद ट्रेन संचालन सामान्य हो जाएगा। इस परियोजना के बाद गोरखपुर जंक्शन से दिल्ली, मुंबई, पुणे जैसी प्रमुख जगहों तक यात्रा और भी आसान हो जाएगी। यात्रियों को आवागमन में आसानी होगी, और उनकी यात्रा की समयसीमा भी सख्ती से पालन की जाएगी।
ईआई सिस्टम की होगी स्थापना की जाएगी
गोरखपुर जंक्शन पर इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग (ईआई) सिस्टम की स्थापना की जाएगी, जिसके बाद ट्रेन संचालन में और अधिक तेजी आएगी। इस सिस्टम की मदद से अब सिग्नल और प्वाइंट माउस से नियंत्रित होंगे, जिससे सिग्नल और प्वाइंट फेल होने की समस्या का समाधान होगा। इसके साथ ही ट्रेनें भी तेजी से चल सकेंगी, और दुर्घटनाओं की संभावना में कमी आएगी। मैनुअल काम की जगह अब डिजिटल सिस्टम पर आधारित कार्य होंगे, जिससे सटीकता और सुरक्षा में वृद्धि होगी।
गोरखपुर जंक्शन की यार्ड रिमाडलिंग के तहत इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग, तीसरी रेल लाइन (थर्ड लाइन) और गोरखपुर-नकहा जंगल डबल लाइन का कार्य भी किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत, गोरखपुर से गोरखपुर कैंट स्टेशन तक तीसरी रेल लाइन का संचालन शुरू हो जाएगा। साथ ही, गोरखपुर से नकहा जंगल तक डबल लाइन पर ट्रेनें चलने लगेंगी, जिससे मालगाड़ियों की आवाजाही में भी आसानी होगी।
गोरखपुर जंक्शन पर पुराने रूट रिले इंटरलाकिंग पैनल की जगह नया इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम स्थापित किया जाएगा। इसके लिए नया भवन उत्तरी गेट पर प्लेटफार्म नंबर 9 के पास तैयार किया गया है, जहां नए कार्यालय और सिस्टम की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस भवन में सिग्नल और बैटरी आदि लगाए जा चुके हैं, और इसका परीक्षण भी शुरू हो चुका है।
अब माउस के जरिए होगा स्टेशन मास्टर का काम
नए डिजिटल सिस्टम से स्टेशन मास्टर का काम अब माउस के जरिए होगा, और बड़े-बड़े बोर्ड और पैनल की जगह कंप्यूटर सिस्टम काम करेगा। इससे छोटे स्टेशनों जैसे डोमिनगढ़, नकहा जंगल, और कैंट आदि की ट्रेनें भी आसानी से कंट्रोल की जा सकेंगी। इन छोटे स्टेशनों पर पहले से ही इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग सिस्टम कार्य कर रहा है।
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