नई दिल्ली : इजरायल और फिलिस्तान के बीच की दुश्मनी की आज शनिवार को अचानक भड़क गई। फिलिस्तीन इलाकों में गठित इस्लामिक चरमपंथी संगठन हमास ने इजरायल पर भारी रॉकेट हमला किया। दावा किया जा रहा है कि इस हमले में 150 से अधिक लोगों की मौत हुई है। 900 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इजरायल की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में 200 से अधिक लोगों की मौत की खबर है।
इजरायल पर हमास का हमला
100 लोगों के घायल होने की सूचना है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल पर हुए हमले पर दुख व्यक्त किया है। हमास की तरफ से इजरायल के इलाकों में लगभग 5000 रॉकेट दागे गए हैं। इजरायल ने हमले के बाद युद्ध की घोषणा कर दी है। दो साल पहले भी हमास की तरफ से विद्रोही तेवर दिखाए गए थे। जानिए आखिर क्या है इजरायल और फिलिस्तान के बीच का विवाद।
इजरायल ने किया युद्ध का ऐलान
हमास द्वारा इजरायल में घुसपैठ करने और इजरायल के नागरिकों पर हमले की घटना के बाद, इजरायल डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने युद्ध का ऐलान किया है। इस ऐलान का मुख्य उद्देश्य है अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और हमास के खिलाफ प्रतिक्रिया देना। इजरायल, अपनी सुरक्षा और सीमा की रक्षा के लिए युद्ध लड़ता रहा है। हमास की ओर से किए गए हमले की अमेरिका ने निंदा की है। युद्ध में इजरायल का साथ खड़े होने का ऐलान किया है।
संघर्ष के पीछे हैं कारण
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच का संघर्ष दुनिया के सबसे पुराने और जटिल संघर्षों में से एक है। इस संघर्ष की जड़ें इतिहास में बहुत गहरी हैं। इस संघर्ष के पीछे कई कारण हैं, जिनमें भूमि विवाद, राजनीतिक विवाद और सामाजिक असमानता शामिल हैं। सभी कारण मिलकर इस दुश्मनी को और भी गहरा बनाते हैं।
इजरायल और फिलिस्तान के बीच भूमि मामला
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच भूमि प्रमुख विवाद कारण है। 1947 में यूनाइटेड नेशन्स के प्लान द्वारा, पूर्वी इजरायल के अलग-अलग देशों में विभाजन का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन यह प्रस्ताव किसी भी पक्ष को मंजूर नहीं था।
धार्मिक और सांस्कृतिक विवाद
इस्लामिक और यहूदी धर्म के महत्वपूर्ण स्थलों पर अधिकार और मान्यताओं को लेकर विवाद रहा है। इजरायल और फिलिस्तीन दोनों क्षेत्रों में कई स्थलों का यहूदियों और मुसलमानों के लिए एक समान रूप से धार्मिक महत्व रहा है। यहूदियों के लिए, इजरायल पवित्र भूमि है, जहां यहूदी धर्म का जन्म हुआ था। मुसलमानों के लिए, यरुशलम तीसरा सबसे पवित्र शहर है, और अल-अक्सा मस्जिद, जो शहर में स्थित है, मुस्लिम धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
राजनीतिक कारण
इजरायल और फिलिस्तीन दोनों क्षेत्रों में स्वायत्तता और संप्रभुता की इच्छा है। इजरायल एक यहूदी राष्ट्र है। यह फिलिस्तीनियों को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने से इनकार करता है। फिलिस्तीनियों का मानना है कि इजरायल ने उनके अधिकारों का उल्लंघन किया है। वह एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
क्षेत्रीय समस्याएं
इजरायल बेहद कम क्षेत्रफल वाला राष्ट्र है। वह भौगोलिक रूप से दुश्मनों से घिरा हुआ है। लिहाजा इजरायल के लिए सुरक्षा सबसे बड़ी आवश्यकता है। कह अपने अस्तित्व की सुरक्षा के लिए कई बार युद्ध का सामना कर चुका हैं। फिलिस्तीन के लोग इजरायल के निर्वाचनी प्रतिष्ठान को अपने स्वाधीनता के साथ मान्य नहीं देते हैं। यह लोग इजरायल की सत्ता के खिलाफ हैं।
सीमा विवाद
इसराइल और फिलिस्तीन मध्य पूर्व में स्थित हैं, जो एक अस्थिर क्षेत्र है। दोनों देशों के बीच संघर्ष इस क्षेत्र में तनाव को बढ़ाता है और हिंसा को बढ़ावा देता है। इसराइल-फिलिस्तीन सीमा का स्थायी समाधान नहीं हुआ है, जिसके कारण दोनों पक्ष उसी भू-इलाके के नियंत्रण के लिए दावा करते हैं।
क्या है हमास?
हमास (Hamas) एक इस्लामिक चरमपंथी संगठन है जो फिलिस्तीन इलाकों में गठित हुआ है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य इसराइल के खिलाफ लड़ना और फिलिस्तीनी इलाकों से इसराइल को हटाने का समर्थन करना है, और इसका उल्लंघन करने के लिए विभिन्न रूपों में हमले करता है। हमास का गठन 1987 में हुआ था, जब फिलिस्तीन में एक जनआंदोलन (Intifada) शुरू हुआ था और शेख अहम यासीन ने इस संगठन की नींव रखी।
इसके बाद, हमास ने फिलिस्तीनी इलाकों में अपने प्रभाव को बढ़ाते हुए इसराइल के साथ संघर्ष की ओर बढ़ते हुए लड़ाई लड़ी। हमास का मुख्य कार्यभूत क्षेत्र गाजा पट्टी है, जो इसराइल द्वारा ब्लॉकेड है और इससे लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसे कि गरीबी, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी। हमास इस इलाके के नेतृत्व को इस्लामी राष्ट्र की स्थापना करने का सपना दिखाता है, जिसे इसराइल मान्यता नहीं देता है।
जानें इसराइल के बारे में
इसराइल का गठन 14 मई 1948 को हुआ था। इसराइल की आबादी एक करोड़ से भी कम है लेकिन इसराइल के वैज्ञानिक, मशीन, टेक्नोलॉजी समेत हर चीज आज विश्वभर में प्रसिद्ध है। 1967 में “6 दिन की युद्ध” (Six-Day War) के दौरान इसराइल ने अपने पांच पड़ोसी देशों से एक साथ होने वाले हमले का कड़ा जवाब दिया और इस युद्ध में विजयी निकला। इससे दुनिया को यह संदेश मिला कि इसराइल, अपने सीमा में कितना भी छोटा हो लेकिन उसके हौसले बुलंद हैं। इस युद्ध का नतीजा हुआ कि इसराइल ने सिनाई प्रायद्वीप, गाजा, पूर्वी यरुशलम, पश्चिमी तट और गोलाना की पहाड़ी पर अपना कब्जा जमा लिया।
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