Home » Haridwar land scam : हरिद्वार भूमि खरीद घोटाला मामले में डीएम कर्मेंद्र सिंह समेत 12 अधिकारी निलंबित

Haridwar land scam : हरिद्वार भूमि खरीद घोटाला मामले में डीएम कर्मेंद्र सिंह समेत 12 अधिकारी निलंबित

उत्तराखंड सरकार की बड़ी कार्रवाई, मुख्यमंत्री धामी ने दिखाई भ्रष्टाचार पर सख्ती, 54 करोड़ की खरीद में उजागर हुई बड़ी अनियमितता।

by Anurag Ranjan
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

Haridwar (Uttarakhand) : उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार नगर निगम में हुए एक बड़े भूमि खरीद घोटाले में कड़ी कार्रवाई करते हुए जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजय वीर सिंह समेत कुल 12 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह निलंबन ₹54 करोड़ के एक विवादास्पद भूमि सौदे में नियमों की अनदेखी और पारदर्शिता की घोर कमी पाए जाने के बाद किया गया है।

हरिद्वार जमीन खरीद घोटाले का पूरा सच

हरिद्वार नगर निगम ने सराय गांव में लगभग 33-34 बीघा कृषि भूमि को ₹53.70 करोड़ की भारी कीमत पर खरीदा था। चौंकाने वाली बात यह है कि यह जमीन अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि थी, जो कि कूड़े के ढेर के पास स्थित थी। जांच में पता चला कि भूमि की श्रेणी में बदलाव के कारण, जिसका बाजार मूल्य पहले केवल 13 करोड़ रुपये था, अचानक बढ़कर 54 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

सबसे हैरानी की बात यह है कि भूमि की श्रेणी परिवर्तन के लिए धारा 143 की प्रक्रिया, जो कि एक लंबी प्रशासनिक प्रक्रिया होती है, मात्र 17 दिनों के भीतर पूरी कर ली गई। तत्कालीन एसडीएम अजय वीर सिंह पर मिसलबंदी में हेरफेर करके इस निर्णय को जल्दबाजी में पारित कराने का आरोप है।

नियमों की जमकर उड़ाई गई धज्जियां

इस भूमि खरीद में नियमों की खुली अनदेखी की गई। बोली प्रक्रिया को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया, और जमीन की खरीद के लिए कोई टेंडर या ओपन मार्केट वैल्यू नहीं ली गई। जांच में यह भी पाया गया कि जमीन की खरीद में शासनादेशों और नगर निगम अधिनियम 1959 के स्पष्ट नियमों का उल्लंघन किया गया। नगर निगम को इस भूमि की कोई खास आवश्यकता नहीं थी, फिर भी इतनी महंगी जमीन खरीदी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूरी योजना एक सुनियोजित घोटाला थी।

कौन-कौन अधिकारी हुए निलंबित?

इस घोटाले में संलिप्त पाए गए निम्नलिखित 12 अधिकारियों को निलंबित किया गया है:

  • डीएम कर्मेंद्र सिंह
  • पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी
  • एसडीएम अजय वीर सिंह
  • वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट
  • वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की
  • रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार
  • मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास
  • प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद कुमार मिश्रवाण
  • कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट
  • अवर अभियंता दिनेश चंद कांडपाल
  • सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल (जिनका सेवा विस्तार समाप्त हो चुका है)
  • संपत्ति लिपिक (जिनका सेवा विस्तार समाप्त हो चुका है)

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तराखंड में पद का कोई महत्व नहीं है, बल्कि कर्तव्य और जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि चाहे कोई भी व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ पद पर क्यों न हो, यदि वह नियमों का उल्लंघन करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई निश्चित रूप से की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने इस पूरे मामले की जांच का जिम्मा गन्ना और चीनी सचिव रणवीर सिंह चौहान को सौंपा था। जांच रिपोर्ट 29 मई को मिलते ही सरकार ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। जांच में यह पाया गया कि डीएम कर्मेंद्र सिंह ने प्रशासक के रूप में भूमि खरीद की अनुमति दी थी, लेकिन उन्होंने निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उन पर शासनादेशों की अवहेलना करने और जनहित को अनदेखा करते हुए नगर निगम के हितों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। राज्यपाल की ओर से भी इस अनुशासनात्मक कार्रवाई को मंजूरी मिल चुकी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शने के मूड में नहीं है।

Read Also: AI से बनी अपनी न्यूड तस्वीर संसद में दिखाकर महिला सांसद ने मचाया हड़कंप, जानिए क्या है मामला


Related Articles