जमशेदपुर/Rare disease : झारखंड के जमशेदपुर शहर में चिकित्सकों को एक ऐसी दुर्लभ बीमारी के बारे में पता चला जिससे वे भी हैरान रह गए। खास बात यह थी कि मरीज को बीमारी बचपन से थी लेकिन उसके बारे पता तब चला जब मरीज की उम्र 55 साल हो गई और उसकी हालत गंभीर होने लगी। हालांकि, चिकित्सकों ने अपनी सुझबूझ से मरीज की जान बचा ली है। अब वह स्वस्थ हो चुका है।
थमने लगी सांस तो पहुंचा डॉक्टरों के पास
मरीज को बचपन से ही यह बीमारी थी लेकिन उसकी परेशानी तब बढ़ी जब उसकी उम्र लगभग 55 साल की हो गई। इस दौरान मरीज को गले से खाना निगलना बंद हो गया। सांस भी थमने लगी। इसके बाद आनन-फानन वह ईएनटी रोग विशेषज्ञ के पास पहुंचा को बीमारी पकड़ में आई।
Rare disease : यह हो रही थी समस्या
जमशेदपुर के गोलमुरी नामदा बस्ती निवासी अजय मिश्रा को बचपन से यह बीमारी थी लेकिन पकड़ तब आई जब परेशानी बढ़ गई। मरीज के गले से खाना निगलते नहीं बन रहा था। वह पानी के सहारे खाना निगल रहे थे। वहीं, सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। इस कारण से वह काफी ज्यादा परेशान थे। इसके बाद मरीज ईएनटी सर्जन डॉ. शुभेंदु मंडल के पास तो उन्होंने जांच कराई। इसके बाद रिपोर्ट देखकर सभी दंग रह गए। मरीज के सांस व खाने की नली (जहां दोनों नली मिलती हैं) के बीच करीब साढ़े तीन सेंटीमीटर का ट्यूमर था।
जटिल काम था सर्जरी करना
डॉ. शुभेंदु मंडल कहते हैं कि मरीज को तत्काल सर्जरी की जरूरत थी। मरीज का खाना तो छूट ही गया था उसे सांस लेने में भी परेशानी हो रही थी। वहीं, उसकी सर्जरी करना काफी जटिल था। चूंकि, सर्जरी के दौरान खून अगर सांस की नली में चली जाती तो मरीज की जान पर भी खतरा था। डॉ. शुभेंदु मंडल ने मरीज की जान बचाने के लिए रिस्क लिया और परिजनों को भरोसे में लेते हुए सफल एंडोस्कोपी सर्जरी की।
क्या है यह बीमारी
डॉ. शुभेंदु मंडल ने बताया कि इस बीमारी को वैलेक्यूलर सिस्ट कहा जाता है, जो एक दुर्लभ प्रकृति की बीमारी है। डॉक्टर ने कहा कि उनके जीवन में इस तरह का यह पहला मामला है। दो लाख लोगों पर इस तरह का एक केस सामने आता है। इस बीमारी का मुख्य कारण जेनेटिक माना जाता है।