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High Court order on reservation: आरक्षण पर हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी बिहार सरकार

by Rakesh Pandey
High Court Order on Reservation
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पटना/High Court Order on Reservation: हाई कोर्ट ने बिहार में आरक्षण 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किए जाने के फैसले को रद्द कर दिया है। वही बिहार में आरक्षण की सीमा को बढ़ाए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए उसे खारिज कर दिया है। वही साल 1992 के इंदिरा साहनी केस के जजमेंट को आधार बनाकर कोर्ट ने 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने के मसले पर सीमा बढ़ाने की बात को संविधान सम्मत नहीं माना है। ज़ाहिर है इसके बाद नीतीश कुमार पर विपक्ष तेजी से दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया है।

ऐसा माना जा रहा है कि हाईकोर्ट का यह फैसला नीतीश कुमार को केंद्र सरकार से 9वीं अनुसूची में आरक्षण के मसले पर बात करने के लिए मज़बूर करेगा। वही केंद्र सरकार इसमें आनाकानी करती है तो केंद्र के खिलाफ विपक्ष इस मौके का फायदा उठाने से चूकेगा नहीं। हालांकि बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि आरक्षण पर हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

High Court Order on Reservation: “जनसंख्या के आधार पर नहीं बढ़ा सकते आरक्षण का दायरा”- हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता के वकील दीन बाबू ने बताया कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण का दायरा 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला रद्द कर दिया है। वही अदालत ने कहा कि जनसंख्या के आधार पर आरक्षण का दायरा नहीं बढ़ाया जा सकता। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन होगा।

साथ ही दीन बाबू ने बताया कि जातीय जनगणना के बाद आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया, जबकि सामान्य श्रेणी के लोगों पर केंद्र सरकार ने पहले ही 10 प्रतिशत का आरक्षण लागू किया है। इसके चलते राज्य में आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत हो गया, जबकि बचे हुए 25 प्रतिशत में सभी वर्ग के लोग सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं जो कि न्यायसंगत नहीं है।

High Court Order on Reservation: बिहार सरकार की क्या है मांग?

बिहार सरकार की मांग रही है कि बिहार के आरक्षण कानून को संविधान की 9वीं अनुसूची में डाल दिया जाए।वही 9वीं अनुसूची की न्यायपालिका समीक्षा कर सकती है या नहीं इसे लेकर विधायिका और न्यायपालिका में टकराव रहा है।

High Court Order on Reservation: आरक्षण को लेकर बिहार सरकार का क्या है पक्ष?

बिहार सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित गणना के अनुसार राज्य की कुल आबादी में ओबीसी और ईबीसी की हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है, जबकि एससी और एसटी की कुल आबादी 21 प्रतिशत से अधिक है। वही सरकार का मानना है कि आरक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय की 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन केंद्र द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण लागू किये जाने के कारण पहले ही हो चुका है।

इसलिए राज्य सरकार अपने आरक्षण कानूनों में संशोधन लेकर आई, जिसके तहत दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी एवं ईबीसी वर्ग के लिए कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया था।

 

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