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Himachal Cloudburst : हिमाचल में बादल फटने से 51 मौतें, 30 लापता, ₹500 करोड़ का भारी नुकसान

by Mujtaba Haider Rizvi
Himachal Cloudburst : हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से तबाही
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Himachal Cloudburst : हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। मूसलाधार बारिश, बादल फटने और भूस्खलन ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। मंडी जिले में अकेले सात स्थानों पर बादल फटने से कई घर तबाह हो गए और 10 लोगों की मौत हो गई है, जबकि 30 लोग लापता हैं। अब तक राज्यभर में कुल 51 मौतों और ₹500 करोड़ के नुकसान की पुष्टि हुई है।

बअचानक बादल फटने से भीषण तबाही मची

मंडी जिले के गोहर, करसोग, थुनाग और धर्मपुर उपमंडल में मंगलवार को अचानक बादल फटने से भीषण तबाही मच गई। मकान और सड़कें पानी में बह गईं, गांवों में पानी भर गया और जनजीवन थम गया। गोहर उपमंडल में 5, सराज में 4 और करसोग में 1 व्यक्ति की जान चली गई है।

Himachal Cloudburst : 132 लोगों को रेस्क्यू किया गया

प्रशासन और ग्रामीणों की मदद से अब तक 132 लोगों को रेस्क्यू किया गया है। दूसरी ओर, 22 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राज्यभर में 204 घरों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 22 पूरी तरह से ध्वस्त हो गए हैं।

आधिकारिक आंकड़े और नुकसान: राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) की रिपोर्ट के अनुसार, 20 जून से 1 जुलाई के बीच प्रदेश के 12 जिलों में हुई मानसून जनित घटनाओं में 51 लोगों की मौत और 22 लोग लापता हैं। वहीं, 103 लोग घायल, 204 मकान क्षतिग्रस्त (22 पूरी तरह तबाह), कई सड़कें और पुल ढहे, सैकड़ों गांवों में बिजली-पानी की समस्या और करीब 500 करोड़ रुपये का शुरुआती अनुमानित नुकसान हुआ है।

हिमाचल के सीएम ने क्या कहा?

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, यह हिमाचल के लिए सबसे कठिन समयों में से एक है। हमने राहत और पुनर्वास के लिए एनडीआरएफ, पुलिस और होमगार्ड की टीमें भेज दी हैं। किसी भी पीड़ित को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।

लापता लोगों को खोजने के लिए सर्च अॉपरेशन जारी

मुख्यमंत्री ने बताया कि 287 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है और लापता लोगों को खोजने के लिए सर्च ऑपरेशन जारी है। सीएम ने यह भी कहा कि नुकसान और बढ़ सकता है, इसलिए सर्वे तेजी से करवाया जा रहा है।

बढ़ती जा रही घटनाएं


हर साल मानसून के दौरान हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। विशेषज्ञ इसे क्लाइमेट चेंज और अनियंत्रित निर्माण कार्यों का परिणाम बता रहे हैं। बेतरतीब निर्माण, पेड़ों की कटाई और पहाड़ों में अवैज्ञानिक ढंग से सड़कों का विस्तार आपदाओं को और घातक बना रहा है।

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