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कहीं 25, तो कहीं 26 मार्च को मनाया जा रहा होली का त्योहार, जानें क्या है इसके पीछे की वजह

by Rakesh Pandey
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Holi 2024: इस बार होली कई जगह पर अलग-अलग तारीखों में खेली गई। कहीं पर 25 मार्च, तो कहीं 26 मार्च को होली का त्योहार मनाया जा रहा है। इस स्थिति का बड़ा कारण पंचांग को माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि 25 मार्च को दोपहर तक पूर्णिमा थी, इसलिए इस दिन होली नहीं खेली गई।

Holi 2024: कहां कब मनाई जा रही होली

मथुरा, अयोध्या, वाराणसी समेत कई जगहों पर होली 25 मार्च को मनाई गई। वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में होली का त्योहार 25 नहीं, बल्कि आज 26 मार्च को मनाया जा रहा है। गोरखपुर के जिलाधिकारी ने 26 मार्च को स्थानीय अवकाश घोषित किया है। होली के त्योहार को सकुशल संपन्न कराने के लिए पुलिस प्रशासन ने व्यापक तैयारी की है। स्थानीय पुलिस के साथ ही दो कंपनी पीएसी और दो कंपनी सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) की तैनाती की गई है। किसी भी तरह की गड़बड़ी या अफवाह फैलाने वालों पर भी पुलिस की सख्त नजर है।

Holi 2024: क्या कहता है काशी का पंचांग

इस बार होलिका दहन 24 मार्च को किया गया। काशी पंचांग के मुताबिक, इस बार देशभर में होली 26 मार्च को मनाई जानी चाहिए, क्योंकि रंगों की होली पूर्णिमा के दिन नहीं, बल्कि प्रतिपदा के दिन खेली जाती है। होलिका दहन फाल्गुल शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भद्रा रहित मुहूर्त में किया गया था। इस बार दो दिन पूर्णिमा होने के कारण कैलेंडर में कहा जा रहा है कि होली दो अलग-अलग तारीखों पर पड़ी थी।

Holi 2024: होली को लेकर पुरोहितों-आचार्यों ने क्या कहा

होली को लेकर गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुरोहित योगी कमलनाथ ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 24 मार्च 2024 के दिन रविवार को रात्रि 10 बजकर 27 बजे के (दिन में 9.24 बजे से रात्रि 10.27 बजे तक भद्रा होने की वजह से) उपरांत होलिका दहन किया गया। सोमवार 25 मार्च को भी होलिका पड़ी रहेगी। 25 मार्च को दिन में 11 बजकर 31 मिनट के बाद प्रतिपदा तिथि लग रही थी। पुरोहित-आचार्य ने कहा कि चैत्र शुक्ल पक्ष में सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा तिथि मिलने पर नित्य कर्म से निवृत्त हो, पितरों को स्मरण, प्रणाम कर सभी प्रकार के कष्ट निवारण के लिए होलिका दहन भूमि को प्रणाम करना चाहिए।

इस निर्णयसिंधु के नियमानुसार दिनांक 26 मार्च 2024 चैत्र कृष्ण पक्ष दिन मंगलवार को सूर्योदय में प्रतिपदा तिथि प्राप्त होने के कारण प्रातः होलिका दहन भूमि को प्रणाम कर विभूति धारण कर एवं प्रातः काल से दिन भर होली उत्सव या वसंत उत्सव मनाया गया।
 

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