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Uttar Pradesh Assembly: यूपी विधानभवन में होगा बड़ा बदलाव, एआई की मदद से होगी विधायकों-मंत्रियों की मॉनिटरिंग

आमतौर पर देखा जाता है कि विधानसभा सत्र के दौरान भी सदन में विधायकों और मंत्रियों की मौजूदगी कम रहती है। वहीं जो विधायक सदन में आते भी हैं, वे भी अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल या मुद्दे पर तो सदन की कार्यवाही अटैंड करते हैं, लेकिन उसके बाद सदन से बाहर चले जाते हैं।

by Anurag Ranjan
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Uttar Pradesh Assembly: भारत में भी अब दुनिया के कई विकसित देशों की तरह एआई का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ रहा है। फोटो-वीडियो एडिट करने से लेकर कंटेंट बनाने तक में एआई का इस्तेमाल हो रहा है। इसी कड़ी में अब उत्तर प्रदेश की विधानसभा में भी एआई का इस्तेमाल किए जाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, यूपी विधान भवन को देश में सबसे खूबसूरत विधान भवन बनाने के बाद अब इसे अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है। इसके तहत विधानभवन में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानि एआई की मदद से विधानसभा सत्र के दौरान तमाम मंत्रियों और विधायकों के कामकाज और उनकी उपस्थिति की मॉनिटरिंग की जाएगी।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सरकार के पास भिजवाया था प्रस्ताव

बताया जा रहा है कि इसका मकसद विधानसभा सत्र के दौरान विधान सभा और विधान मंडल में मंत्रियों और विधायकों की अधिक से अधिक मौजूदगी और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने इस संबंध में सरकार के पास प्रस्ताव भिजवाया था, जिसे राज्य सरकार अंतिम रूप देने में जुटी हुई है। वहीं अगर ऐसा हो जाता है, तो विधान भवन के एआई सिस्टम से लैस करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन जाएगा।

दरअसल, आमतौर पर देखा जाता है कि विधानसभा सत्र के दौरान भी सदन में विधायकों और मंत्रियों की मौजूदगी कम रहती है। वहीं जो विधायक सदन में आते भी हैं, वे भी अपने क्षेत्र से जुड़े सवाल या मुद्दे पर तो सदन की कार्यवाही अटैंड करते हैं, लेकिन उसके बाद सदन से बाहर चले जाते हैं। इसी को देखते हुए विधानभवन को एआई सिस्टम से लैस करने का फैसला लिया गया है। ये सिस्टम हर सदस्य के सदन में बैठने की अवधि, बार-बार आने जाने, सवाल पूछने, सक्रिय रहने जैसी बातों का पूरा रिकॉर्ड रखेगा। सत्र के दौरान होने वाली चर्चाओं पर अपडेट रहने के लिए सदन में बैठना जरूरी है।

एआई से विधानसभा के 137 साल के डेटा का होगा डिजिटलाइजेशन

वहीं, जानकारी के मुताबिक विधानसभा के डाटा को डिजिटलाइज करने के लिए भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके तहत साल 1887 से लेकर वर्तमान तक जितनी भी विधायी कार्यवाही हुई हैं, सभी में एआई का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे पिछले 137 साल में यूपी विधानभवन के दोनों सदनों में किस नेता ने किस मुद्दे पर क्या और कब बोला, ये सेकेंडों में सामने आ जाएगा।

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