हेल्थ डेस्क, नई दिल्ली : चिकित्सा के क्षेत्र में भारत को बड़ी सफलता मिली है। अब कनाडा सहित अन्य देशों से दुर्लभ बीमारियों की दवा मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बल्कि भारत में ही दुर्लभ बीमारियों की दवा बनेगी। इससे इलाज कई गुना सस्ता हो जाएगा। अब समझने के लिए ‘टाइरोसिनेमिया टाइप-ए’ दवा लीजिए। यह लीवर
की दवा है। ये दवा कनाडा से आती है और इसपर लगभग 2.2 करोड़ रुपये सालाना खर्च होता है लेकिन अब ये दवा भारत में बनने से इसका खर्च काफी कम हो जाएगा। 2.2 करोड़ रुपये की बजाए ये दवाएं भारत में मात्र 2.5 लाख रुपये में तैयार हो जाएगी। इस तरह से सस्ता होने के साथ-साथ मरीजों को आसानी से मिल भी सकेगी। एक लाख की आबादी पर एक मरीज को लीवर खराब होने की बीमारी होती है।
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इस तरह मिली कामयाबी
भारत को यह सफलता कैसे मिली इसको लेकर आपके मन में सवाल चलते होंगे तो आइए इसके बारे में हम आपको बताते हैं। नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुर्लभ बीमारियों को लेकर चिंता जाहिर की थी और उससे निपटने को लेकर त्वरित कदम उठाने का निर्देश दिया था। इसके बाद इसपर बीते साल जुलाई माह से काम शुरू हुआ और सफलता मिल गई।
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13 दुर्लभ बीमारियों की हुई पहचान
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने 13 दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है, जिसकी संख्या अन्य दुर्लभ बीमारियों से अधिक है। भारत में वैसे तो दुर्लभ बीमारियों की कोई ठोस आंकड़ा मौजूद नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इससे लगभग 10 करोड़ लोगों को सीधे लाभ मिलेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुर्लभ बीमारियां वो होती हैं, जो एक हजार की जनसंख्या में एक से भी कम में होती है। इनमें कई बीमारियां तो लाखों लोगों में से एक को होती है। माना जाता है कि किसी भी देश की छह-आठ फीसद जनसंख्या दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होती है।
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एक साल के भीतर सात
एक साल के भीतर ही सात दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए सस्ती भारतीय दवा को सफलता मिली है। इनमें विल्सन डिजीज के इलाज के लिए विदेश से आने वाली दवा की कीमत 1.8 करोड़ से 3.6 करोड़ रुपये है। भारतीय कंपनी ने तीन से छह लाख कीमत वाली दवा बाजार में उतार दी है। वहीं, भारत में बनी ‘टाइरोसिनेमिया टाइप-ए’ दवा बाजार में आ चुकी है। इस तरह की कुल सात दुर्लभ बीमारियों के लिए चार दवाई भारत में बननी शुरू हो चुकी है और चार अन्य दवाएं अगले पांच-छह महीने में आ जाएगी। सरकार ने कुल 13 दुर्लभ बीमारियों की पहचान की है और उनका सस्ता इलाज सुलभ कराने का बीड़ा उठाया है।
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तैयार किया जा रहा सप्लाई चैन
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल के अनुसार, इन दवाइयों के मरीजों तक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत में भरोसेमंद सप्लाई चैन तैयार किया जा रहा है। ताकि मरीजों को सभी तरह की दवाएं सस्ती दरों पर आसानी से उपलब्ध हो सकें।
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों के लिए सस्ती दवाई बनाकर भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह सिर्फ लाभ कमाने के लिए नहीं, बल्कि पूरी मानवता की सेवा के लिए काम करता है। उन्होंने कहा, भारत में बनी इन दवाओं से सिर्फ देश में मरीजों का सस्ता इलाज संभव नहीं होगा, बल्कि पूरी दुनिया को इसका फायदा मिलेगा और कई देशों ने तो भारत से संपर्क करना भी शुरू कर दिया है।
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