नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के बाद शनिवार रात 11:30 बजे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अपने देश को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय सेना की ओर से की गई कार्रवाई के बारे में बताया। आरोप लगाया कि भारत ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान पर हमला किया।
अपने संबोधन में शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान युद्ध नहीं चाहता और वह भारत से जंगबंदी व बातचीत चाहता है। उन्होंने कहा कि अमेरिका, कतर और सऊदी अरब की भूमिका सीजफायर के लिए महत्वपूर्ण रही है। प्रधानमंत्री ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी क्राउन प्रिंस का आभार जताया। साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को “सच्चा दोस्त” बताते हुए कहा कि उन्होंने बुरे वक्त में पाकिस्तान का साथ दिया।
शरीफ ने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने पाकिस्तान पर मिसाइल दागी और फौजी अड्डों को निशाना बनाया, जिससे कई पाकिस्तानी सैनिक शहीद हो गए हैं।
अमेरिकी मध्यस्थता से बनी अस्थायी सहमति
शनिवार शाम 5:30 बजे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर सहमति बनी है। ट्रंप ने कहा, “यूएसए की मध्यस्थता में रातभर चली बातचीत के बाद मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूरी तरह से हमले रोकने के लिए तैयार हो गए हैं।”
भारत की प्रतिक्रिया: पाकिस्तान पर सीजफायर उल्लंघन का आरोप
भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से शनिवार रात एक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की गई, जिसमें विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पाकिस्तान पर सीजफायर के उल्लंघन का आरोप लगाया। मिसरी ने कहा, “पाकिस्तान स्थिति को गंभीरता से समझे। भारतीय सेना हर गतिविधि पर नजर रख रही है। पड़ोसी देश के उकसावे की कार्रवाई के खिलाफ सेना को सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस) के बीच सैन्य कार्रवाई रोकने को लेकर सहमति बनी थी, लेकिन पाकिस्तान ने कुछ ही घंटों में इसे तोड़ दिया। उन्होंने घुसपैठ को “निंदनीय” करार दिया और कहा कि भारतीय सेना को हर स्थिति में जवाब देने की पूरी छूट है।
रक्षा विशेषज्ञों की माने तो भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालातों के बीच अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से फिलहाल सीजफायर की कोशिश की जा रही है, लेकिन दोनों देशों के बयानों से साफ है कि विश्वास की कमी अब भी बनी हुई है। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह संघर्ष विराम कितने समय तक टिकता है या हालात एक बार फिर नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं।