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अंतरराष्ट्रीय व्यापार धोखाधड़ी का पर्दाफाश: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 10 करोड़ रुपये की ठगी के मास्टरमाइंड को किया गिरफ्तार

सिंगापुर का नागरिक और ओसीआई कार्डधारक मुकेश गुप्ता गिरफ्तार, फर्जी शिपिंग दस्तावेजों से की थी ठगी...

by Neha Verma
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नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing – EOW) ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय व्यापार धोखाधड़ी मामले का खुलासा करते हुए मुख्य आरोपी मुकेश गुप्ता को गिरफ्तार किया है। 67 वर्षीय मुकेश गुप्ता सिंगापुर का नागरिक है और ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारक है। उस पर 10 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है, जो उसने फर्जी बिल ऑफ लैडिंग (Bill of Lading) और अन्य शिपिंग दस्तावेजों के जरिए की।

2022 में दर्ज हुई थी शिकायत

यह मामला 26 जुलाई 2022 को सामने आया, जब एम/एस चौधरी टिम्बर इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (CTIPL) ने शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, CTIPL ने न्यूजीलैंड से लकड़ी आयात करने के लिए मुकेश गुप्ता की सिंगापुर स्थित कंपनी एम/एस एमरोस सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड के साथ अनुबंध किया था। भुगतान लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) के माध्यम से इंडियन बैंक, सिंगापुर के जरिए किया गया।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मिला भुगतान

बाद में जांच में सामने आया कि मुकेश गुप्ता ने इंडियन बैंक, सिंगापुर में फर्जी बिल ऑफ लैडिंग और शिपिंग दस्तावेज जमा किए, जो आगे बैंक ऑफ इंडिया, सीपी ब्रांच दिल्ली को भेजे गए। इन दस्तावेजों के आधार पर बैंक ने लगभग 10 करोड़ रुपये जारी कर दिए, जबकि वास्तव में कोई माल भारत भेजा ही नहीं गया था।

जांच में खुला फर्जीवाड़ा

पुलिस जांच में पता चला कि मार्च 2020 में भेजे गए बिल ऑफ लैडिंग पूरी तरह जाली थे। शिपिंग कंपनी एशिया मैरीटाइम पैसिफिक लिमिटेड, शिपिंग एजेंट अर्णव शिपिंग प्राइवेट लिमिटेड और बीमाकर्ता वेरो इंश्योरेंस न्यूजीलैंड से दस्तावेजों की पुष्टि करने पर फर्जीवाड़ा सामने आया। एमवी एशिया पर्ल-I नामक जहाज से भारत के लिए कोई भी शिपमेंट नहीं भेजा गया था।

स्वास्थ्य कारणों का दिया था हवाला

आरोपी मुकेश गुप्ता बार-बार स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देकर जांच से बचता रहा, लेकिन ईओडब्ल्यू की सतत कोशिशों से वह जांच में शामिल हुआ। अंततः 22 अप्रैल 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

न्यायिक हिरासत में भेजा गया आरोपी

29 अप्रैल को अदालत में पेश किए जाने पर मुकेश गुप्ता को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया, जहां उससे गहन पूछताछ की गई। शिकायतकर्ता और शिपिंग एजेंट के प्रतिनिधियों के साथ उसका आमना-सामना कराया गया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि शिपिंग कंपनियों के नाम और मुहर का दुरुपयोग किया गया था। पूछताछ में उसने भ्रामक और अस्पष्ट जवाब दिए, जिसके बाद उसे 14 मई 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

धोखाधड़ी का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क

मुकेश गुप्ता मूल रूप से बरेली, उत्तर प्रदेश का निवासी है। उसने 1978 में रोहिलखंड विश्वविद्यालय से बी.कॉम किया। 1986-87 में गुजरात में लकड़ी व्यापार शुरू किया और 1990 में एमजीए कॉरपोरेशन, फिर 1995-96 में इंडिया ओवरसीज और 2003 में एमजी फॉरेस्ट की स्थापना की, जिसे बाद में एमरोस सिंगापुर प्राइवेट लिमिटेड नाम दिया गया। उसकी कंपनी सिंगापुर स्थित है और मलेशिया, इंडोनेशिया, घाना, नाइजीरिया सहित 20 से अधिक देशों में व्यापार करती थी।

राजनयिक जानकारी और आगे की जांच जारी

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मुकेश गुप्ता की गिरफ्तारी की सूचना सिंगापुर उच्चायोग, नई दिल्ली को दे दी गई है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा मामले की गहनता से जांच कर रही है और इसमें अन्य संभावित सहयोगियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

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