सेंट्रल डेस्क: भारत की महिलाएं लंबे समय से रूढ़ियों को तोड़कर खेल, मनोरंजन, विज्ञान, सेना, अंतरिक्ष जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अपनी काबिलियत साबित करती आई हैं। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, यह जरूरी है कि हम भारतीय महिलाओं के राजनीति में किए गए महत्वपूर्ण योगदान को पहचानें और उन्हें सेलिब्रेट करें। हालांकि राजनीति के क्षेत्र में अक्सर पुरुष हावी रहे हैं लेकिन इन महिला नेताओं ने अद्वितीय कदम उठाए हैं और यह साबित किया है कि नेतृत्व का कोई जेंडर नहीं होता।
इन महिला राजनीतिज्ञों ने बनाई पहचान, खुद को किया साबित
यहां कुछ प्रभावशाली महिला राजनेताओं का जिक्र किया जा रहा है, जिन्होंने भारतीय राजनीति के परिदृश्य को फिर से आकार दिया है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया है।
वर्तमान दौर की भारतीय महिला राजनेता
ममता बनर्जी
ममता बनर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री, तृणमूल कांग्रेस (TMC) की संस्थापक और नेता हैं। वह अपनी जमीनी सक्रियता के लिए जानी जाती हैं और बंगाल में वाम मोर्चे के प्रभुत्व को तोड़कर गरीबों और वंचितों के लिए एक आवाज बन गईं। उनके नेतृत्व ने राज्य और राष्ट्रीय राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी है और विशेष रूप से अपने गृह राज्य में उन्हें खास सम्मान प्राप्त है। हर बार मजबूती से डंटे रहना उन्हें खास बनाता है।
सोनिया गांधी
सोनिया गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सबसे लंबी सेवा करने वाली अध्यक्ष, भारतीय राजनीति में एक केंद्रीय व्यक्तित्व है। उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त की और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से शादी की। उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का गठन किया और 2004 से 2014 तक भारत सरकार का संचालन किया। शांत और दृढ़ नेतृत्व के लिए जानी जाने वाली सोनिया गांधी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश की राजनीतिक दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण भारत की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं। इससे पहले वह रक्षा मंत्री के रूप में कार्य कर चुकी हैं और इंदिरा गांधी के बाद इस पद पर आसीन होने वाली दूसरी महिला बनीं। वित्त मंत्री के रूप में, उन्होंने अब तक आठ बार बजट प्रस्तुत किए हैं।
स्मृति ईरानी
स्मृति ईरानी, जिन्हें ‘क्योंकि सास भी कभी बहु थी’ टीवी सीरियल में तुलसी विरानी के रूप में उनके प्रतिष्ठित अभिनय के लिए जाना जाता है, बाद में टेलीविजन से राजनीति में कदम रखा। वह मोदी सरकार में केंद्रीय कैबिनेट में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य कर चुकी हैं, जिनमें शिक्षा, वस्त्र, महिला एवं बाल विकास और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय शामिल हैं। स्मृति हमेशा अपने वक्तव्य से महिलाओं की आवाज उठाती रहीं है।
रेखा गुप्ता
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता बीजेपी की केवल दूसरी महिला मुख्यमंत्री हैं। हरियाणा के जुलाना में जन्मी गुप्ता ने 1992 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक होने के बाद, उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया और दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUSU) की अध्यक्ष और बाद में महासचिव भी बनीं। वह दिल्ली में बीजेपी की महिला मोर्चा की महासचिव भी रही हैं।
पूर्व में इन महिला राजनीतिज्ञों की रही धाक
इंदिरा गांधी
भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने 1966 से 1977 और फिर 1980 से 1984 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, और देश को कई चुनौतीपूर्ण दौरों से निकालने में नेतृत्व किया, जिनमें 1971 का युद्ध शामिल था, जिसके परिणामस्वरूप बांगलादेश का निर्माण हुआ। उनके निर्णायक नेतृत्व ने उन्हें प्रेरणा का स्त्रोत बना दिया। हालांकि, उनके कार्यकाल को लेकर कई विवाद भी रहे।
जयललिता
जयललिता, जिन्हें ‘अम्मा’ के नाम से भी जाना जाता है, तमिलनाडु की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से राज्य की राजनीति को नया रूप दिया। एक सफल अभिनेत्री के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद, जयललिता ने राजनीति में कदम रखा और अपनी करिश्माई शख्सियत और नीति-आधारित शासन से महिला सशक्तिकरण की प्रतीक बन गईं। उनका निधन 5 दिसंबर 2016 को हुआ, लेकिन उनकी धरोहर आज भी जीवित है।
शीला दीक्षित
दिल्ली की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली महिला मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने 1998 से 2013 तक दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया। उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व से दिल्ली को एक आधुनिक और समृद्ध शहर के रूप में बदला। उनका निधन 20 जुलाई 2019 को हुआ।
महारानी गायत्री देवी
जयपुर की अंतिम रानी महारानी गायत्री देवी सिर्फ एक फैशन आइकन नहीं बल्कि एक राजनीतिक नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं। उन्होंने अपने राजसी पद से बाहर निकल कर जयपुर की राजनीतिक धारा को आकार दिया। कांग्रेस पार्टी की नीतियों का विरोध करते हुए उन्होंने स्वतंत्र पार्टी के तहत 1962 के चुनावों में लोकसभा चुनाव जीता। उनका निधन 29 जुलाई 2009 को हुआ।
सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज के भाषण और सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व को भारतीय राजनीति में सबसे सम्मानित शख्सियतों में गिना जाता है, भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक प्रमुख नेता थीं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। भारत की विदेश मंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाई, और इंदिरा गांधी के बाद इस पद पर आसीन होने वाली दूसरी महिला थीं। 2019 में उनका निधन भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा क्षति था, लेकिन उनका योगदान महिलाओं के नेतृत्व में प्रेरणा बनकर रहता है।