- स्कूल आवंटन पर डीसी ने शिक्षा विभाग के डायरेक्टर से मांगा परामर्श
जमशेदपुर: शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत बीएड प्रशिक्षुओं के अभ्यास पाठ के लिए स्कूल आवंटन को लेकर शुक्रवार को उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें बीएड कॉलेजों के प्रतिनिधि और विद्यालय आवंटन समिति के चार सदस्य शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य सत्र 2023-25 के प्रशिक्षुओं को स्कूल कैसे आवंटित किए जाएं, इस पर चर्चा करना था।
बैठक में उस समय विवाद खड़ा हो गया जब कुछ बीएड कॉलेजों ने जमशेदपुर महिला विश्वविद्यालय के बीएड विभाग पर बिना समिति की स्वीकृति के स्कूल आवंटन करने का आरोप लगाया। कॉलेजों ने कहा कि जेसीईआरटी का आदेश सभी संस्थानों पर लागू होता है, लेकिन महिला विवि का बीएड विभाग मनमानी कर रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर महिला विवि अपनी मर्जी से स्कूल बांट सकता है, तो वे भी ऐसा क्यों न करें।
इस पर उपायुक्त ने संज्ञान लिया। महिला विवि के प्रतिनिधियों से पूछा कि उन्होंने समिति की अनुमति के बिना स्कूल कैसे आवंटित कर दिए। डीसी ने यह भी आपत्ति जताई कि सभी छात्राओं को निजी स्कूलों में भेजा गया, जबकि सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है।
डीईओ से जेसीईआरटी के निर्देशों की कॉपी मंगाई गई। डीसी ने कहा कि पहले वे निर्देशों का अध्ययन करेंगे, फिर संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेकर ही स्कूल आवंटन पर फैसला लिया जाएगा।
जांच में यह बात सामने आई कि महिला विवि पिछले चार साल से डीईओ की मिलीभगत से बिना समिति की स्वीकृति के स्कूल आवंटन कर रहा है। विवि 2023 के जेसीईआरटी आदेश का हवाला दे रहा है, जिसमें विवि की स्वीकृति से स्कूल आवंटन की बात कही गई है। लेकिन उस आदेश में भी रजिस्ट्रार की लिखित स्वीकृति जरूरी बताई गई है। इसके बावजूद बीएड विभागाध्यक्ष बिना स्वीकृति के स्कूल बांटते रहे। डीईओ कार्यालय को जानकारी होने के बावजूद वह चुप रहा।
हैरानी की बात यह है कि जेसीईआरटी ने जनवरी 2025 में नया आदेश जारी कर दिया था, जिसमें स्पष्ट कहा गया कि स्कूल आवंटन उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति की स्वीकृति से ही होगा। इसके बावजूद महिला विवि के बीएड विभागाध्यक्ष ने पुराने आदेश का हवाला देकर स्कूल बांट दिए।
महिला विवि के बीएड विभागाध्यक्ष पर निजी स्कूलों से सांठगांठ का आरोप भी लगा है। कहा जा रहा है कि वे छात्राओं को उन्हीं स्कूलों में भेज रहे हैं, जो उनसे मोटी रकम वसूलते हैं। इससे इन स्कूलों को पांच महीने के लिए मुफ्त में शिक्षक मिल जाते हैं। जबकि जमशेदपुर और आसपास के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है। इसके बावजूद महिला विवि ने एक भी छात्रा को सरकारी स्कूल में नहीं भेजा।