सेंट्रल डेस्क। भारतीय जनता पार्टी में संगठनात्मक फेरबदल का दौर जारी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष बदले जा चुके हैं या जल्द ही बदले जाने की संभावना है। झारखंड भी इस सूची में शामिल है, जहां वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के स्थान पर नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की तैयारी चल रही है।
“एक व्यक्ति, एक पद” की पार्टी नीति के तहत यह बदलाव जरूरी माना जा रहा है। मरांडी फिलहाल दोहरी भूमिका निभा रहे हैं – प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष दोनों की।
कौन होंगे नए प्रदेश अध्यक्ष? रेस में हैं ये बड़े नाम
झारखंड बीजेपी में नए प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कई वरिष्ठ नेता रेस में माने जा रहे हैं:
• पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास
• हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल
• जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो
इन नेताओं में संगठन के अनुभव, सामाजिक समीकरण और केंद्रीय नेतृत्व के समीपता को लेकर मंथन चल रहा है।
मरांडी के कार्यकाल में नहीं हुई कार्यसमिति की बैठक, उठे सवाल
बाबूलाल मरांडी ने 4 जुलाई 2023 को झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला था, लेकिन एक साल के कार्यकाल में प्रदेश कार्यसमिति की एक भी बैठक नहीं हो पाई।
यह स्थिति पार्टी की संवैधानिक परंपराओं के भी विपरीत है, जिसके अनुसार हर तीन माह में कार्यसमिति की बैठक होना अनिवार्य है। आखिरी बार कार्यसमिति की बैठक 23-24 जनवरी 2023 को देवघर में हुई थी, तब अध्यक्ष दीपक प्रकाश थे।
नई कार्यसमिति का गठन नहीं, संगठन में दिखा असंतुलन
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, मरांडी के नेतृत्व में अब तक सिर्फ प्रदेश पदाधिकारियों और सात मोर्चों के अध्यक्षों की घोषणा हुई है। कार्यसमिति सदस्यों की आधिकारिक सूची आज तक जारी नहीं हो पाई है, जिससे बैठक की संभावना खत्म हो जाती है।
यह स्थिति पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश के कार्यकाल में भी देखी गई थी, जब बिना आधिकारिक सूची के कार्यसमिति बैठक बुलाई गई थी और उस पर विवाद भी हुआ था।
संगठन में बड़ी हस्तियों को एडजस्ट करना बना सबसे बड़ा टास्क
झारखंड बीजेपी में कई पूर्व मुख्यमंत्री, वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक सक्रिय भूमिका में लौट चुके हैं। इसमें शामिल हैं:
• रघुवर दास– ओडिशा के राज्यपाल पद से लौटकर सक्रिय
• चंपई सोरेन– JMM छोड़ बीजेपी में शामिल
• अर्जुन मुंडा– लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्य की राजनीति में वापसी
• मधु कोड़ा– जिनकी तस्वीर बीजेपी पोस्टर में देखी गई
• प्रमुख चेहरे– सीता सोरेन, गीता कोड़ा, लोबिन हेम्ब्रम
इन सभी को कार्यसमिति में समायोजित करना, जिम्मेदारी देना और गुटबाजी को रोकना किसी भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
बीजेपी का जवाब– सदस्यता और संगठनात्मक चुनाव के बाद ही फैसला
पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि पिछले सात महीनों से सदस्यता अभियान चल रहा है और अब मंडल अध्यक्षों की घोषणा के बाद जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा। इसके बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चयन और कार्यसमिति की बैठक संभव हो पाएगी। यानी फिलहाल सबकी नजरें संगठनात्मक चुनाव के समापन और नए नेतृत्व के चयन पर टिकी हैं।
झारखंड बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन न केवल जरूरी हो गया है बल्कि इसे लेकर पार्टी के अंदर सक्रिय हलचल भी है। बाबूलाल मरांडी की जगह कौन लेगा, क्या पार्टी गुटबाजी से ऊपर उठकर सामूहिक नेतृत्व तैयार कर पाएगी – यह सब आने वाले दिनों की सबसे बड़ी राजनीतिक कहानी होगी।
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