Ranchi (Jharkhand): प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को झारखंड और कोलकाता में एक बड़े अभियान के तहत नौ अलग-अलग ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। यह कार्रवाई बहुचर्चित जीएसटी घोटाला मामले में की गई है और यह पहली बार है जब झारखंड ईडी ने इस घोटाले के आरोपियों को ‘धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए)’ के सख्त दायरे में लाकर शिकंजा कसा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, ईडी की टीमों ने झारखंड की राजधानी रांची में तीन स्थानों पर दबिश दी, जबकि जमशेदपुर में एक ठिकाने पर छापेमारी की गई। इसके अतिरिक्त, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पांच स्थानों पर एक साथ ईडी के अधिकारियों ने दस्तक दी।
इस व्यापक छापेमारी के दायरे में मुख्य रूप से विवेक नरसरिया, शिवकुमार देवरा, सुमित गुप्ता और अमित गुप्ता नामक व्यापारी शामिल हैं। इन व्यापारियों पर आरोप है कि इन्होंने मिलकर एक बहुत बड़े फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। इन्होंने कथित तौर पर 14,325 करोड़ रुपये के फर्जी बिल तैयार किए और इसके आधार पर लगभग 800 करोड़ रुपये के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का भारी घोटाला किया।
जांच एजेंसियों का मानना है कि इस पूरे जीएसटी घोटाले का मुख्य सूत्रधार झारखंड और पश्चिम बंगाल क्षेत्र का ही है। घोटाले में शामिल इन व्यापारियों ने धोखाधड़ी करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कई व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाए। इन नकली कंपनियों के माध्यम से इन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अनुचित लाभ उठाया और फिर अपने-अपने फर्जी प्रतिष्ठानों को रातोंरात बंद कर दिया, ताकि उनके काले कारनामों का पर्दाफाश न हो सके।
ईडी की इस ताजा कार्रवाई से जीएसटी घोटाले की परतें खुलने और इसमें शामिल अन्य लोगों तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है। पीएमएलए के तहत कार्रवाई होने से अब इन आरोपियों की संपत्तियों की जब्ती और उनकी आय के स्रोतों की गहन जांच की जा सकेगी। यह कदम जीएसटी चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ ईडी की एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।