रांची: झारखंड सरकार ने राज्य के 360 हाई स्कूलों को इंटरमीडिएट (प्लस टू) स्तर पर अपग्रेड करने की योजना तैयार की है। इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 3600 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मांगी है। इस प्रस्ताव को राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने हाल ही में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा है। प्रस्ताव के अनुसार, झारखंड के हर जिले में 15 हाई स्कूलों को प्लस टू स्कूल में परिवर्तित किया जाएगा। हर स्कूल पर औसतन 10 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिससे लैब, पुस्तकालय, शौचालय और अतिरिक्त कक्षाओं जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।
इंटर की पढ़ाई पर दिखा असर, हाई स्कूलों की संख्या बढ़ाना जरूरी
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने के बाद राज्य के डिग्री कॉलेजों और अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद कर दी गई है, जिससे छात्रों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि झारखंड में हर वर्ष करीब 5 लाख छात्र मैट्रिक परीक्षा पास करते हैं, लेकिन प्लस टू स्तर के स्कूलों की अपर्याप्त संख्या के कारण छात्रों को आगे की पढ़ाई में परेशानी हो रही है। ऐसे में स्कूलों की संख्या बढ़ाना वक्त की मांग है।
स्कूली शिक्षा सुधार के लिए केंद्र से 4440 करोड़ की कुल मांग
राज्य सरकार ने स्कूली शिक्षा के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार से कुल 4440 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग की है। इसमें स्कूलों के तकनीकी, व्यावसायिक और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए विभिन्न मदों में सहायता की मांग शामिल है।
ICT लैब और स्मार्ट क्लास के लिए अलग बजट प्रस्ताव
ICT लैब स्थापना के लिए:
• 160 स्कूलों में आईसीटी लैब के लिए ₹10.24 करोड़
• 7488 मध्य विद्यालयों के लिए ₹479.23 करोड़
स्मार्ट क्लास के लिए:
• 584 हाई स्कूलों व प्लस टू स्कूलों में स्मार्ट क्लास हेतु ₹14 करोड़
व्यावसायिक शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं पर विशेष फोकस
कौशल आधारित शिक्षा (Vocational Education):
• 1794 स्कूलों में स्किल बेस्ड शिक्षा शुरू करने के लिए ₹336.37 करोड़
अन्य बुनियादी सुविधाएं:
• विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय और शौचालय जैसी सुविधाओं के लिए
₹30.97 लाख प्रति स्कूल की दर से राशि की मांग की गई है।
शिक्षा ढांचे को सुदृढ़ करने की दिशा में अहम पहल
रामदास सोरेन ने कहा कि यह प्रस्ताव राज्य के शिक्षा ढांचे को मजबूत करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगा। इससे न केवल झारखंड के छात्रों को उच्च शिक्षा तक पहुंच मिलेगी, बल्कि राज्य की शैक्षणिक गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार आएगा।
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