रांचीः झारखंड में भंडारण व्यवस्था की हालत गंभीर होती जा रही है। राज्य के विभिन्न जिलों में 56,600 मीट्रिक टन क्षमता वाले कुल 83 गोदाम अब अनुपयोगी हो चुके हैं। कहीं छत और फर्श टूट चुका है, तो कहीं गोदाम तक पहुंचने का रास्ता तक नहीं है। कुछ गोदामों का उपयोग जिला पुलिस प्रशासन कर रहा है, जबकि कई को कंडम घोषित कर दिया गया है।
9 गोदामों का निर्माण कार्य जारी
झारखंड में इस समय 15,200 मीट्रिक टन क्षमता के 9 गोदामों का निर्माण कार्य जारी है। इनकी स्थिति निम्न है:
स्थान क्षमता (मीट्रिक टन) स्थिति
तोरपा 5000 निर्माणाधीन
बोकारो बाजार समिति 200 निर्माणाधीन
बीएसटी सिटी (बोकारो) 1000 निर्माणाधीन
करणडीह (पूर्वी सिंहभूम) 5000 निर्माणाधीन
हाट गम्हरिया (पश्चिमी सिंहभूम) 1000 निर्माणाधीन
बड़गढ़ (गढ़वा) 1000 निर्माणाधीन
बरडीहा (गढ़वा) 1000 निर्माणाधीन
सदर प्रखंड (हजारीबाग) 1000 निर्माणाधीन
ज़िलावार गोदामों की स्थिति और समस्याएं
बोकारो
जगह क्षमता समस्या
जरीडीह 250 छत और फर्श टूटा
गोमिया 500 छत और फर्श टूटा
नवाडीह 750 छत और फर्श टूटा
चंदनक्यारी 1500 छत और फर्श टूटा
देवघर
जगह क्षमता समस्या
पालाजोरी 200 मरम्मत की राशि निर्गत
मधुपुर 1250 मरम्मत की राशि निर्गत
देवघर 2250 2000MT मरम्मत, 250MT कंडम
दुमका
जगह क्षमता समस्या
जामा 250 मरम्मत योग्य नहीं
रानेश्वर 250 मरम्मत योग्य नहीं
पूर्वी सिंहभूम
जगह क्षमता समस्या
वर्मामाइंस 2000 मरम्मत की राशि निर्गत
डुमरिया 1000 मरम्मत की राशि निर्गत
मुसाबनी 1250 मरम्मत की राशि निर्गत
पोटका 750 मरम्मत की राशि निर्गत
पटमदा 250 मरम्मत की राशि निर्गत
मुख्य कारण
• छत और फर्श की जर्जर स्थिति
• लोडिंग-अनलोडिंग प्लेटफॉर्म का टूटना
• पहुंच पथ का अभाव
• मरम्मत की राशि निर्गत होने के बावजूद अधूरी मरम्मत
• पुलिस प्रशासन द्वारा कब्जा
• कई गोदामों का कंडम होना या मरम्मत योग्य न होना
भंडारण संकट का असर
इन गोदामों की दुर्दशा से न केवल खाद्यान्न भंडारण प्रभावित हो रहा है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि उत्पादों का संरक्षण और सरकारी योजनाओं की दक्षता भी प्रभावित हो रही है।
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