रांची। JMM Meeting : झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सहयोगी दलों के विधायकों ने बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति एकजुटता प्रकट की है। उन्होंने कहा कि झामुमो नेता मुख्यमंत्री के पद पर कार्य करते रहेंगे। गठबंधन के विधायकों ने यह बैठक(JMM Meeting) सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा समन भेजे जाने की पृष्ठभूमि में उत्पन्न राजनीतिक परिस्थिति पर चर्चा के लिए बुलाई थी।
बैठक(JMM Meeting) से बाहर आते समय विधायकों ने कहा कि वे सोरेन के साथ मजबूती से खड़े हैं और मौजूदा सरकार को कोई खतरा नहीं है। वरिष्ठ झामुमो नेता और राज्य सरकार में पेयजल व स्वच्छता मामलों के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि सोरेन मुख्यमंत्री बने रहेंगे और पार्टी उनके नेतृत्व में 2024 का लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बैठक (JMM Meeting) की अध्यक्षता स्वयं सोरेन ने की।
JMM Meeting : विधायकों ने दिखायी एकजुटता
विधायकों ने बैठक (JMM Meeting) के बाद कहा कि गठबंधन में शामिल दलों के विधायक एकजुट हैं और मौजूदा सरकार को कोई खतरा नहीं है। राज्य में नेतृत्व परिवर्तन पर कोई चर्चा नहीं हुई। झामुमो के 48 वर्षीय कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें लाभ के पद मामले की जांच के सिलसिले में तलब किए जाने के बाद से विवादों में हैं।
मुख्यमंत्री सचिवालय के एक बयान में कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में सत्तारूढ़ गठबंधन के मंत्रियों और विधायकों की एक महत्वपूर्ण बैठक(JMM Meeting) हुई। इस में राज्य के ताजा राजनीतिक हालात पर विशेष तौर पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने पूरी घटना पर अपनी राय रखी और सभी को इसकी जानकारी दी. सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री के प्रति अपना भरोसा जताया।
JMM Meeting : ईडी से आमने-सामने की लड़ाई लड़ेगी पार्टी
बयान के मुताबिक सभी विधायकों ने किसी भी परिस्थिति में मुख्यमंत्री के प्रति एकजुटता प्रकट की। इसमें कहा गया कि किसी भी स्थिति में वे सभी (गठबंधन दलों के विधायक) पूरी तरह से एकजुट हैं और मुख्यमंत्री और राज्य सरकार के खिलाफ किसी भी साजिश को विफल कर देंगे। विधायकों ने सोरेन के नेतृत्व पर भरोसा जताया और कहा कि वह राज्य के विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया ईडी द्वारा सोरेन को भेजे गए समन का जवाब देने की समयसीमा पांच जनवरी को समाप्त हो जाएगी। सोरेन को सातवां समन पिछले साल दिसंबर में जारी किया गया था। सोरेन ने ईडी द्वारा पहले के छह समन को नजरअंदाज कर दिया और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार पर उनकी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
चुनाव आयोग ने अगस्त 2022 में झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस को एक पत्र भेजा था, जिसमें माना जाता है कि उन्हें विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की गई थी क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें दिए गए खनन पट्टे का नवीनीकरण किया गया था। हालांकि, न तो बैस और न ही उनके उत्तराधिकारी सीपी राधाकृष्णन ने वह पत्र खोला।
इस बीच, सोरेन ने मंगलवार को गांडेय विधानसभा सीट से पत्नी कल्पना सोरेन के चुनाव लड़ने के कयासों को खारिज करते हुए इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘कोरी कल्पना’ करार दिया। सोरेन ने कहा कि इन कयासों में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी के निकट भविष्य में चुनाव लड़ने की संभावना पूरी तरह से भाजपा की कोरी कल्पना है. उन्हें सत्ता सौंपने की अटकल भाजपा द्वारा गलत विमर्श पेश करने के लिए फैलायी गयी है।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के अटकलों से राजनीति हो गयी थी तेज
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में मुख्यमंत्री को भेजे गए समन और सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गांडेय से विधायक सरफराज अहमद के सोमवार को अचानक इस्तीफे से ये अटकलें तेज हो गईं। विपक्षी भाजपा ने दावा किया है कि अहमद को पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया ताकि ईडी जांच से उत्पन्न किसी स्थिति में मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन गांडेय सीट से चुनाव लड़ सकें।
झारखंड की 82 (81 निर्वाचित और एक मनोनीत) सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास कुल 47 सदस्य हैं जिनमें झामुमो के 29, कांग्रेस के 17 और एक राष्ट्रीय जनता दल का विधायक शामिल है। वहीं विपक्ष में भाजपा के 29 और ऑल झारखंड स्टुडेंट्स यूनियन (आजसू) के तीन विधायक हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) के एक-एक सदस्य हैं जबकि दो निर्दलीय विधायक हैं।
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