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किसी भी कलाकार के लिए पॉलिटिकली करेक्ट बने रहना चुनौती: चंदन पांडेय

by The Photon News Desk
Karim City College Satyajit Ray Memorial Lecture
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जमशेदपुर/Karim City College Satyajit Ray Memorial Lecture : करीम सिटी कॉलेज के साकची स्थित कैंपस के ऑडिटोरियम में शुक्रवार को “सत्यजित राय स्मृति व्याख्यान” का आयोजन किया गया। इसमें “सत्यजित राय का अपूर्व संसार” नाम की पुस्तक का लोकार्पण किया गया। इसमें कुल 41 लेखकों के आलेख संग्रहित किए गए हैं ।

भारतीय सिनेमा में सत्यजित राय का बड़ा मुकाम

कार्यक्रम के दौरान बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद प्रसिद्ध कथाकार एवं वरिष्ठ साहित्यकार चंदन पांडेय ने कहा कि किसी भी कलाकार के लिए हमेशा पॉलिटिकल करेक्ट होना बेहद चुनौती पूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पूरे देश में जिस तरह से गांव-गांव में अस्थि कलश भेजा गया, वह पहली बार हुआ लेकिन नायक खड़ा करने के प्रयास अतीत में भी हुए हैं।

हकीकत यह है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद तत्कालीन सरकार ने भी देश में पैदा हुई संवेदना को दिशा देने का प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि कई बार हमें आगे बढ़ने के लिए इतिहास को एक धक्का देना पड़ता है। धक्के से पैदा हुई गति इतनी तेज होती है कि कई बार यह हमें कुचलकर आगे निकल सकती है लेकिन इसमें समन्वय बनाए रखना ही सबसे बड़ा कौशल होता है। “सत्यजित राय का अपूर्व संसार” नाम से संपादित डॉ विजय शर्मा की पुस्तक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कई बहुत अच्छे और महत्वपूर्ण लेख हैं।

Karim City College Satyajit Ray Memorial Lecture

उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से सत्यजित राय भारतीय फ़िल्म जगत की सबसे बड़ी शख्सियत रहे हैं। आज अलग-अलग भाषाओं में उन पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन किसी भी फिल्मकार,साहित्यकार अथवा कलाकार का पुनर्मूल्यांकन निरंतर होते रहना चाहिए। इससे संबंधित व्यक्तित्व के अंदर छिपी अलग-अलग प्रतिभा का पता चलता है। बंगाल के पुनर्जागरण और आगामी लोकसभा चुनाव के परिणाम का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार हम अलग-अलग रचनाओं अथवा फिल्मों में महानायक, नायक की छवि गढ़ते रहते हैं।

कुछ जगहों पर ऐसा नहीं होता। उन्होंने इस पुस्तक में आलेख लिखने वाले लेखकों और संपादक से आग्रह किया कि वह श्याम बेनेगल सहित मौजूदा समय के फिल्मकारों और निदेशकों पर भी लिखें। इसे सिनेमा के प्रति युवाओं की समझ और विकसित होगी।

करीम सिटी कॉलेज के मास कम्युनिकेशन विभाग की ओर से आयोजित यह कार्यक्रम साहित्यिक संस्था “सृजन संवाद”, “साहित्य कला फाउंडेशन” तथा “नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन के सहयोग हुआ। इस दौरान अतिथियों ने फिल्म निर्देशक सत्यजित राय पर आधारित विजय शर्मा की संपादित पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक दो भागों में लिखी गई है।

Karim City College Satyajit Ray Memorial Lecture
कार्यक्रम नई दिल्ली फिल्म फाउंडेशन के महासचिव आशीष कुमार सिंह ने ऑनलाइन हिस्सा लिया। सत्यजित राय पर बोलते हुए उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि सत्यजित राय की फिल्मों में सभी पात्रों को पर्याप्त महत्व दिया जाता रहा है। कई लोगों का ऐसा मानना है कि सत्यजित राय की फिल्मों के बगैर भारतीय सिनेमा की कल्पना अधूरी है।उनकी फिल्मों में इतिहास के अलग-अलग कालखंडों के दर्शन होते हैं। कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है।

सत्यजित राय की फिल्मों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। अपने संबोधन में आशीष कुमार सिंह ने सत्यजित राय के फिल्मों के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान विजय शर्मा ने अपनी पुस्तक के संपादन के दौरान आई विभिन्न कठिनाइयों का उल्लेख किया। लेखकों को उनके प्रयास के लिए बधाई दी।

पुस्तक की संकल्पना और आवश्यकता के बारे में भी विस्तार से बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व संयोजक पूर्वी क्षेत्रीय परिषद एवं मैथिली सलाहकार समिति साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली सह एलबीएसएम कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक कुमार अविचल ने किया।

कार्यक्रम में स्वागत भाषण करीम सिटी कॉलेज के प्राचार्य डॉ मोहम्मद रियाज ने दिया। उन्होंने सत्यजित राय की फिल्म पाथेर पांचाली और झारखंड के जुड़ाव का जिक्र किया। कार्यक्रम का संचालन करीम सिटी कॉलेज के जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष एवं अंग्रेजी विभाग की वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डॉ नेहा तिवारी ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन साहित्य कला फाउंडेशन की मुख्य ट्रस्टी डॉ. क्षमा त्रिपाठी ने किया।

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