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खेसारी लाल यादव : लिट्टी-चोखा बेचने वाला लड़का कैसे बना भोजपुरी का ट्रेंडिंग स्टार, जानिए संघर्ष

by Rakesh Pandey
खेसारी लाल यादव : लिट्टी-चोखा बेचने वाला लड़का कैसे बना भोजपुरी का ट्रेंडिंग स्टार, जानिए संघर्ष
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खेसारी लाल यादव : एल्बम “माल भेटाई मेला में” से प्रसिद्धि के प्रसिद्धि की सीढ़ियां चढ़नेवाले खेसारी लाल यादव भोजपुरी सिनेमा का एक ऐसा नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यादव भोजपुरी सिनेमा पर्दे के वो चमकते सितारें है जिनके गाने हर 2 दिन में सोशल मीडिया पर ट्रेंड होते रहते हैं। यूपी और उत्तर प्रदेश के साथ-साथ विदेश में भी अपने गायन कल का लोहा मनवाने वाले खेसारी एक वक्त में मुश्किलों से गिरे थे। जिस खेसारी लाल यादव को हम जानते हैं उन्हें यह मुकाम काफी परेशानियों से गुजरकर हासिल हुआ है।

बारात में किया नाच, दिल्ली में बेचा लिट्टी-चोखा
बारात के नाच से शुरू हुआ खेसारी लाल का सफ़र यहां तक पहुंचा है। खेसारी ने घर चलाने के लिए दक्षिण दिल्ली में सड़क किनारे लिट्टी-चोखा भी बेचा है। खेसारी लाल के चाहने वाले आज हम जगह मौजूद हैं। खेसारी लाल यादव नाम भोजपुरी सिनेमा की पहचान बन चुका है। यह नाम भोजपुरी के टॉप गायक व अभिनेता के रूप में जाना जाता है। आइए जानते हैं उनकी पूरी कहानी।

ऐसा रहा खेसारी का शुरुआती जीवन
खेसारी लाल यादव का जन्म बिहार के छपरा जिले में हुआ। इनके पिता का नाम मंगरू लाल यादव था। बचपन बहुत कष्ट व गरीबी से गुजरा। इसी गरीबी में बड़े हुए। तब वह मजदूरी करते थे। खेसारी लाल यादव ने ऐसे दिन भी देखें हैं जब उनके पिता चने बेच कर परिवार का पेट पालते थे। अपने पिता के कंधे के बोझ को हलका करने के लिए मजदूरी करने लगे। उन्होंने अपने गांव में मजदूरी के अलावा बारात में लौंडा नाच भी किया। दूध बेचने का एक छोटा सा कारोबार भी किया था। पैसों की कमी के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई 12वीं कक्षा के बाद छोड़ दी।

अभाव, गरीबी और पैसों की तंगी ने खेसारी को छोटी सी उम्र में बहुत कुछ सिखा दिया। शुरुआती जीवन के बारे में खेसारी एक इंटरव्यू के दौरान बताते हैं, जीवन के पहले दौर में वे भैंस चराते और उनके दूध को बेचते थे। यह करने के क्रम में वे अक्सर दूध में पानी मिलाया करते थे, ताकि 10-20 रुपये अधिक मुनाफा हो सके। इसके अलावा, वे दूसरों के खेतों से सरसों और मक्का चुराकर अपनी भैंसों को खिला पाने के लिए प्रयासरत रहते थे। उनका सबसे ज्यादा समय अपनी भैंसों की देखभाल में बीतता था और वे घास काटने तक का काम भी किया करते थे।

पहला लोकप्रिय गाना
खेसारी बचपन से ही उम्र के हिसाब से लंबे-चौड़े थे, शरीर गठीला था। इस वजह इन्हें फौज में नौकरी भी मिली मगर वहां मन नही लगा। बीएसएफ में सरकारी नौकरी लगने के 6 महीने काम करने के बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी। खेसारी लाल यादव का असली नाम शत्रुघ्न कुमार यादव है। संघर्ष के दिनों मे खेसारी को काम मांगने पर गालियां मिलती थी। इसके बावजूद वे हिम्मत नहीं हारे व लगन से अपना काम मांगते रहे।

अपने पिता से 15 हजार लेकर उन्होंने एक गाना रिलीज किया जिसका नाम ‘माल मेला में भेटाई’, यह गाना उनके फिल्मी व गायन करियर के लिए सोना साबित हुआ। इस गाने से शुरू हुई खेसरी की लोकप्रियता बढ़ती चली गई जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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