धर्म कर्म डेस्क, नई दिल्ली : चेहल्लुम का पर्व आ रहा है। इस गम का त्यौहार माना जाता है। इस्लाम धर्म के मानने वाले लोग यह त्यौहार मनाते हैं। मुस्लिम समुदाय के लोग इस त्यौहार को हजरत इमाम हुसैन की शहादत के रूप में मनाते हैं।
क्या है चेहल्लुम से जुड़ी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि.जब हज़रत इमाम हुसैन अपने सैनिकों के साथ कर्बला में लड़ाई लड़ रहे थे , तब मोहर्रम महीने की 10 वीं तारीख को हजरत इमाम हुसैन लड़ते लड़ते शहीद हो गए थे। उस लड़ाई में उनके साथ 72 साथियों की भी शहादत हुई थी। उसी दिन से मोहर्रम की हर 10 वीं तारीख को उनकी याद में असुरा मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाता है। असुरा मोहर्रम के 40 वें दिन चेहल्लुम मनाया जाता है। मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार देश में चेहल्लुम का त्यौहार आगामी 6 सितंबर को मनाया जायेगा।
– क्या है चेहल्लुम का महत्व
चेहल्लुम के त्यौहार का मुस्लिम समुदाय में महत्वपूर्ण स्थान है। चेहल्लुम विशेष रूप से मुस्लिम धर्म में में शिया मुस्लिम समुदाय के लोग बढ़-चढ कर मनाते हैं। चेहल्लुम के दिन शिया समुदाय के लोग इमामबाड़ा में इमाम हुसैन की शहादत और वीरता की कहानी सुनते हैं। इस अवसर पर समुदाय से जुड़े लोग वहां मातम मनाते हैं। शहादत को याद करते हुए कटे हुए वस्त्र पहनते हैं।
चेहल्लुम पर लोग इमाम हुसैन को श्रद्धांजलि देते हैं। इमाम हुसैन की याद में समुदाय के लोग एक दूसरे को एकता का संदेश देते हैं। भारत में यह त्यौहार 6 सितंबर को मनाया जाएगा। मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार हिजरी तारीख 20 सफल 1445 को मनाया जाएगा।
मुस्लिम समुदाय के लोग चेहल्लुम को अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की जीत मनाते हैं। यह त्यौहार को पूरे विश्व में रह रहे मुस्लिम समुदाय के लोग अपने अपने तरीके से मनाते हैं। इस दिन सफेद रंग का ताजिया निकाला जाता है।