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जानें कौन हैं संजय मिश्रा : ईडी का वह निदेशक जिनके कार्यकाल में हुई विपक्षी दलों के खिलाफ सबसे अधिक कार्रवाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 31 जुलाई तक कार्यालय छोड़ें

by Rakesh Pandey
Sanjay Mishra, ED Director, Supreme Court tenure of ED Director Sanjay Mishra
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को देश की सबसे बड़ी अदालत ने गलत बताते हुए तीसरे कार्यकाल विस्तार देने के आदेश को रद्द कर दिया है। साथ ही उन्हें 31 जुलाई तक कार्यालय खाली करने के लिए कहा है। हालांकि, कोर्ट ने सरकार को राहत देते हुए कहा कि ईडी और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाने का नियम सही है।

किन न्यायाधीशों ने ईडी डायरेक्टर पर सुनाया फैसला

न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को कहा कि हमने 2021 में आदेश दिया था कि उनका कार्यकाल आगे न बढ़ाया जाए। ऐसे में वे अब 31 जुलाई तक ही अपने पद पर रह सकते हैं। इस दौरान केंद्र सरकार नए निदेशक का चयन कर ले।

विदित हो कि 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी संजय मिश्रा का कार्यकाल 18 नवंबर 2023 तक निर्धारित था। वहीं इस फैसले का सभी विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। वहीं सत्ता पक्ष की ओर से गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला है।

जानिए ईडी निदेशक के कार्यकाल विस्तार पर क्यो हैं विवाद :
ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार पर विवाद की मुख्य वजह उन्हें लगातार मिल रहा सेवा विस्तार रहा। केंद्र सरकार से उन्हें लगातार तीसरी बार सेवा विस्तार दिया। उन्हें 2018 में दो साल के लिए ईडी निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया था। नवंबर 2020 में संजय मिश्रा को रिटायर होना था, लेकिन 13 नवंबर 2020 को जारी एक आदेश में केंद्र सरकार ने उनके कार्यकाल को तीन साल कर दिया।

इसके बाद केंद्र सरकार 2021 में एक अध्यादेश लेकर आई। अध्यादेश में कहा गया कि सीबीआई और ईडी के निदेशक का कार्यकाल दो साल से अधिकतम पांच साल तक बढ़ाया जाए। अध्यादेश को संसद में पारित कराया गया। इसको लेकर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना भी की थी।

संजय मिश्रा के कार्यकाल में ही विपक्षी दलों के नेताओं पर हुई सबसे अधिक कार्रवाई :
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ ही सभी विपक्षी दलों ने एक सुर में इसका स्वागत किया। सत्ता पक्ष की माने तो इसी एक और वजह इन दलों के खिलाफ हाल के वर्षों में हुई कार्रवाई रही है। संजय मिश्र के ईडी निदेशक का कार्यकाल संभालने के साथ ही विपक्षी दलों के बड़े-बड़े नेताओं के यहां छापे पड़े और कई जेल भी गए।

फिर वह चाहें दिल्ली के मंत्री सतेद्र जैन हो या शिवसेना नेता संजय राऊत, कर्नाटक के वर्तमान उपमुख्यमंत्री डीके शिव कुमार को 2019 में ईडी ने गिरफ्तार किया थ।

जानें किस केस में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को पूछताछ के लिए बुलाया

संजय मिश्रा के ईडी निदेशक रहते ही प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कई बार पूछताछ के लिए बुलाया। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी सबसे बड़े शेयरधारक हैं।

इस कंपनी पर आरोप है कि इसने सिर्फ 50 लाख रुपये खर्च कर नेशनल हेराल्ड अखबार के मालिकाना हक वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर कब्जा कर लिया। सौदे में धन शोधन के आरोपों की जांच ईडी कर रही है।

निदेशक कोई भी हो ईडी विकास विरोधी मानसिकता वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करेगी ही : शाह

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये महत्वपूर्ण नहीं है कि ईडी का निदेशक कौन है, क्योंकि जो कोई भी इस पद पर होगा, वह विकास विरोधी मानसिकता रखने वाले परिवारवादियों के बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पर नजर रखेगा।

उन्होंने कहा कि ईडी मामले पर कोर्ट के फैसले पर खुशी मना रहे लोग विभिन्न कारणों से भ्रम में हैं। सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) अधिनियम में संशोधन, जिसे संसद की ओर से विधिवत पारित किया गया था, उसे बरकरार रखा गया है।

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा से क्या है संजय मिश्रा का विवाद
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ही सबसे पहले ईडी डायरेक्टर के कार्यकाल विस्तार पर सवाल उठाए थे। उन्होंने सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। कहा कि हम बीजेपी से सांसद,सड़क और कोर्ट हर जगह लड़ने के लिए तैयार हैं।

 

 

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