मुंबई: स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर की गई टिप्पणियों के संबंध में मुंबई पुलिस ने तीसरा समन जारी किया है। पुलिस ने कामरा को 5 अप्रैल तक खार पुलिस स्टेशन में पेश होने का निर्देश दिया है। इससे पहले, पुलिस ने उन्हें दो बार समन भेजा था, लेकिन वे पेश नहीं हुए थे।
मामले की पृष्ठभूमि
कुणाल कामरा ने मुंबई के खार स्थित हैबिटेट स्टूडियो में अपने स्टैंड-अप शो ‘नया भारत’ के दौरान एक व्यंग्यात्मक गीत प्रस्तुत किया था। इस गीत में उन्होंने एकनाथ शिंदे की राजनीतिक गतिविधियों पर कटाक्ष किया था। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद, शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने 23 मार्च को उस स्टूडियो में तोड़फोड़ कर दी, जहां यह कार्यक्रम हुआ था।
कानूनी कार्रवाई
शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर कुणाल कामरा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(1)(b) (सार्वजनिक उपद्रव) और 356(2) (मानहानि) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस की कार्रवाई
मुंबई पुलिस ने पहले भी कुणाल कामरा को दो बार समन भेजा था, लेकिन उन्होंने पेश होने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने तीसरा समन जारी कर उन्हें 5 अप्रैल तक खार पुलिस स्टेशन में उपस्थित होने का आदेश दिया है।
अग्रिम जमानत याचिका
कामरा ने मद्रास हाईकोर्ट में ट्रांजिट अग्रिम जमानत की याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें 500 से अधिक धमकी भरे कॉल आए हैं। हाईकोर्ट के जस्टिस सुंदर मोहन ने मामले की सुनवाई करते हुए कामरा को 7 अप्रैल तक अंतरिम राहत दी है और उन्हें वनूर की स्थानीय अदालत में जमानत के लिए पेश होने का निर्देश दिया है।
शिवसेना की प्रतिक्रिया
शिवसेना (शिंदे गुट) के नेताओं ने कुणाल कामरा की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की है। शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ता पूरे देश में कामरा का पीछा करेंगे और उन्हें भारत छोड़ने पर मजबूर कर देंगे। वहीं, शिवसेना युवा विंग के महासचिव राहुल कनाल ने कहा कि मुंबई आने पर कामरा का ‘शिवसेना स्टाइल’ में स्वागत किया जाएगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजनीतिक व्यंग्य को दबाने का प्रयास कर रही है और यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।
यह मामला भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक असहिष्णुता के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म देता है। आगामी दिनों में अदालत और पुलिस की कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।