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आज दिन व रात होंगे बराबर, जानिए ऐसा क्यों होता है

by The Photon News Desk
Leap Year
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स्पेशल डेस्क। Leap Year : आज का दिन यानि बुधवार बहुत ही ज्यादा खास है, क्योंकि आज दिन और रात बराबर अवधि के होंगे। आमतौर पर हर साल यह घटना 21 मार्च को होती है लेकिन इस बार लीप ईयर होने के कारण एक दिन पहले यानी 20 मार्च को दिन-रात बराबर होंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार साल में दो बार दिन-रात बराबर होते हैं। 20-21 मार्च के अलावा 23 सितंबर को भी ऐसा होता है। भूमध्य रेखा पर लंबवत रहने के कारण सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं जिससे 12 घंटे का दिन और 12 घंटे की रात होती है।

Leap Year या अधिवर्ष क्या होता है?

लीप ईयर यानी अधिवर्ष ऐसा वर्ष होता जिसमें एक दिन अधिक होता है। यह वर्ष हर चार वर्ष में एक बार आता है। दरअसल, पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में 365 दिन और छह घंटे लगते हैं। यह छह घंटे समय के साथ जमा होते जाते हैं। चार वर्ष में इससे 24 घंटे बनते हैं जो एक अतिरिक्त दिन होता है। यही एक दिन जब फरवरी में जुड़ जाता है तो फरवरी 28 से 29 दिन की हो जाती है और साल लीप ईयर या फिर अधिवर्ष कहा जाता है।

Equinox- 23 सितंबर को दिन व रात बराबर होते है

सूर्य के उत्तरी गोलार्ध पर विषवत रेखा पर होने के कारण ही 23 सितंबर को दिन व रात बराबर होते है। खगोलीय घटना के बाद दक्षिण गोलार्ध में सूर्य प्रवेश कर जाएगा और उत्तरी गोलार्ध में धीरे-धीरे रातें बडी़ होने लगेंगी। पृथ्वी के मौसम परिवर्तन के लिए वर्ष में चार बार 21 मार्च, 21 जून, 23 सितंबर व 22 दिसंबर को होने वाली खगोलीय घटना आम आदमी के जीवन को प्रभावित करती है। ऐसा खगोल वैज्ञानिकों का मत है।

21 जून को होता है सबसे बड़ा दिन

प्रत्येक वर्ष में दो दिन दिन-रात बराबर होते हैं। यह इसलिए ऐसा होता है कि 21 जून को दक्षिणी ध्रुव सूर्य से सर्वाधिक दूर रहता है, इसलिए इस दिन सबसे बड़ा दिन होता है।

Equinox- विशेष सत्र का किया गया आयोजन

वही रीजनल साइंस सेंटर के प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर साकेत सिंह कौरव ने बताया कि इस घटना को इक्विनॉक्स कहते हैं। यह साल में दो बार होती है। पृथ्वी अपने अक्ष पर झुके होने के साथ ही सूर्य का चक्कर एक अंडाकार मार्ग में लगाती है। जिससे दिन और रात की लम्बाई घटती बढ़ती रहती है।

इसके प्रभाव से ही मौसम में गर्मी, सर्दी होती है। इक्विनॉक्स के दौरान, सूर्य ठीक पूर्व में उगता है और ठीक पश्चिम में अस्त होता है, जिससे छाया अपेक्षाकृत कम बनती है। जैसे ही पृथ्वी की धुरी संतुलन के एक बिंदु पर पहुंचती है, जो उत्तरी गोलार्ध में वसंत और दक्षिणी गोलार्ध में शरद ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। इक्विनॉक्स की खगोलीय घटना के महत्व को लोगों को समझाने के लिए बुधवार को एक विशेष सत्र का आयोजन किया गया।

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