नई दिल्ली: देश की प्रमुख शैक्षणिक संस्था, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने कक्षा 7 की इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में बड़ा बदलाव किया है। नई पुस्तकों से “दिल्ली सल्तनत” और “मुगल साम्राज्य” से संबंधित सभी अध्याय हटा दिए गए हैं। इसके स्थान पर अब महाकुंभ मेले को एक नए अध्याय के रूप में शामिल किया गया है।
नई किताबों में महाकुंभ के महत्व को रेखांकित करते हुए यह बताया गया है कि किस तरह इस धार्मिक आयोजन में 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने भाग लिया था। पाठ्यपुस्तक में महाकुंभ को एक भव्य और ऐतिहासिक सांस्कृतिक आयोजन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। हालांकि, इसमें इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है कि इसी आयोजन के दौरान मची भगदड़ में 30 तीर्थयात्रियों की दुखद मृत्यु भी हुई थी।
विवादों की आहट
इतिहास के महत्वपूर्ण कालखंड जैसे कि दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन को पाठ्यक्रम से हटाए जाने को लेकर इतिहासकारों और शिक्षाविदों में चिंता देखी जा रही है। उनका मानना है कि छात्रों को भारत के मध्यकालीन इतिहास की समृद्ध और विविध परंपराओं से अवगत कराना बेहद जरूरी है। आलोचकों का कहना है कि इतिहास को इस तरह से बदलना छात्रों की ऐतिहासिक समझ को सीमित कर सकता है।
एनसीईआरटी का पक्ष
एनसीईआरटी ने अपने स्पष्टीकरण में कहा है कि यह बदलाव “भारभार कम करने” और “समकालीन आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम के अद्यतन” के उद्देश्य से किया गया है। परिषद के अनुसार, नए पाठ्यक्रम में अधिक समसामयिक और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रमुखता दी गई है ताकि छात्रों में राष्ट्रीय चेतना और सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। कुछ दलों ने इसे “इतिहास के साथ छेड़छाड़” करार दिया है, जबकि कुछ अन्य दलों ने इस बदलाव का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे भारत की प्राचीन परंपराओं और गौरव को अधिक पहचान मिलेगी।
अगला कदम
छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच इस बदलाव को लेकर मिलेजुले प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। एनसीईआरटी ने संकेत दिया है कि भविष्य में अन्य कक्षाओं की पुस्तकों में भी इसी तरह के संशोधन किए जा सकते हैं।