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मकर संक्रांति में दही-चूड़ा और तिल का क्या है महत्व?

by Rakesh Pandey
Makar Sankranti 2024
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धर्म-ज्ञान डेस्क : मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान को बहुत ही ज्यादा शुभ माना गया है। (Makar Sankranti 2024) इस त्योहार के साथ कई धार्मिक मान्यताएं व सांस्कृतिक परंपराएं जुड़ी हुई हैं। यूपी-बिहार में मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भी महत्व होता है। इस दिन दही-चूड़ा, खिचड़ी, तिल के लड्डू और तिल की गजक खाने का विशेष महत्व है। खासकर, बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा बड़े ही चाव से खाया जाता है। इसके अलावा पूरे देश में तिल खाया और खिलाया जाता है।

Makar Sankranti 2024: सेहत के लिए फायदेमंद

दही-चूड़ा और तिल का मकर संक्रांति में विशेष महत्व है। (Makar Sankranti 2024) दही को आयुर्वेद में स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। यह पाचन के लिए अच्छा होता है और शरीर को ठंडा रखता है। चूड़ा भी एक सुपाच्य भोजन है। यह चावल से बना होता है और इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा, दही-चूड़ा और तिल का सेवन करने से शरीर को सर्दी से बचाया जा सकता है। मकर संक्रांति में ठंड का मौसम हो जाता है। इस मौसम में दही-चूड़ा और तिल का सेवन करने से शरीर को गर्मी मिलती है और ठंड से बचाव होता है।

तिल खाने से मिलता है आयरन

तिल को भी स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। यह आयरन, कैल्शियम, और फॉस्फोरस का अच्छा स्रोत है। तिल का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा और तिल का सेवन करने के पीछे कई धार्मिक मान्यताएं भी हैं। (Makar Sankranti 2024) माना जाता है कि इस दिन दही-चूड़ा और तिल का सेवन करने से सौभाग्य, धन, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

दही और चूड़ा का लगाया जाता है भोग

दही और चूड़ा के साथ तिलकुट को मकर संक्रांति पर बनाया जाता है। ताजा-ताजा धान कटाई के बाद किसान चावल को खाते हैं। इस दिन लोगों दान-पुण्य करते हैं। इसके साथ ही भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाकर खाने की परंपरा है। (Makar Sankranti 2024) उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में इस दिन दही-चूड़ा का भोग लगाया जाता है। साथ ही साथ ये रिश्तों की मजबूती के लिए माना जाता है।

रिश्तों में आती है गर्माहट

लोग दही-चूड़ा को अपने दोस्तों, रिश्तेदारों के घर जाकर आदान-प्रदान भी करते हैं। इससे रिश्तों में गर्माहट बनी रहती है। मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह और दिन के समय चूड़ा-दही, तिल के लड्डू, तिल की गजक और रात में खिचड़ी खाते हैं। बिहार और उत्तर प्रेदश (Makar Sankranti 2024) में ये मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दही-चूड़ा खाने से सौभाग्य आता है। इस शुभ दिन में सबसे पहले दही-चूड़ा का सेवन किया जाता है। साथ ही सफेद और काली तिल के लड्डू, तिल के गजक भी खाए जाते हैं।

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति से जुड़ीं मान्यताएं

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन गुड़ और तिल से बनी चीजों का सेवन व दान करने की परंपरा होती है। इस दिन स्नान, दान और पूजा करने पर कई गुना पुण्य लाभ मिलता है। (Makar Sankranti 2024) मकर संक्रांति पर खरमास खत्म हो जाता है और शुभ कार्य दोबारा से शुरू हो जाता है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने पर ही भीष्म पितामह ने अपना शरीर का त्याग किया था।

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