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Maneka Gandhi : मेनका गांधी पशु बलि को लेकर बिहार सरकार से किया आग्रह, कहा…

by Anand Mishra
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पटना : पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और विभिन्न पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने बिहार की नीतीश कुमार सरकार से राज्य के विभिन्न हिस्सों में पशु बलि की प्रथा को तत्काल बंद करने का अनुरोध किया है। उन्होंने राज्य सरकार से यह भी आग्रह किया कि नेपाल में होने वाले आगामी गढ़ीमाई उत्सव में बलि के लिए पशुओं की तस्करी को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं।

पशु बलि और तस्करी पर रोक लगाने की मांग

मेनका गांधी ने शुक्रवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने राज्य से पशु बलि की प्रथा को खत्म करने और नेपाल में बलि के लिए पशुओं की तस्करी रोकने के लिए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की। गांधी ने अपने पत्र में कहा कि हाल ही में यह खबर आई है कि भारतीय भैंसों की तस्करी की जा रही है, जिसकी कीमत लगभग एक करोड़ रुपये प्रति माह होती है, और ये पशु नेपाल के बाजारों में बेचे जाते हैं।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गढ़ीमाई उत्सव, जो नेपाल में मनाया जाता है, एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, जहां लाखों पशुओं की बलि दी जाती है। इसके लिए बिहार से पशुओं की तस्करी होती है, और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए।

पशु अधिकार संगठनों का बिहार सरकार से अनुरोध

बिहार में पशु बलि की प्रथा और तस्करी पर रोक लगाने की मांग को लेकर अन्य प्रमुख पशु संरक्षण संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी बिहार सरकार से अपील की है। शनिवार को आचार्य प्रशांत, आलोकपर्णा सेनगुप्ता और गौरी मौलेखी जैसे प्रमुख पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा से मिला और उनसे राज्य के संबंधित अधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने का आग्रह किया।

आचार्य प्रशांत, जो प्रशांत अद्वैत फाउंडेशन के संस्थापक हैं, ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने मुख्य सचिव से यह अनुरोध किया है कि वह राज्य में पशु बलि की बर्बर प्रथा और नेपाल में तस्करी की जा रही गायों, भैंसों और बकरियों की तस्करी को रोकने के लिए संबंधित अधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी करें।”

केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सख्त कार्रवाई की अपील

इन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह समय की बात नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय जिम्मेदारी है। यदि राज्य और केंद्र सरकार ने जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाए तो यह प्रथा और तस्करी केवल बढ़ सकती है, जिससे न सिर्फ पशुओं के प्रति अत्याचार बढ़ेगा, बल्कि समाज में भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।

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