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MGNREGA Jharkhand 2025 : झारखंड में MGNREGA बनी ग्रामीणों की रोजगार रेखा, गढ़वा जिला सबसे आगे

मनरेगा ने एक बार फिर साबित किया है कि यह ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला स्तंभ है। गढ़वा, गिरिडीह और देवघर जैसे जिले इसका सबसे प्रभावशाली उदाहरण हैं।

by Reeta Rai Sagar
MGNREGA job chart 2025 showing Garhwa district on top in Jharkhand
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रांची: झारखंड में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) अब भी लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए एक बड़ी राहत बनी हुई है। विशेषकर उन जिलों में, जहां खेती ही आजीविका का मुख्य आधार है और अन्य रोजगार के साधन सीमित हैं, वहां मनरेगा अब भी रोजगार का सबसे भरोसेमंद जरिया बना हुआ है।

MGNREGA Jharkhand 2025 : झारखंड में 39.25 लाख से अधिक परिवारों मिला रोजगार

वित्तीय वर्ष 2025-26 के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल से जुलाई) के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में 39.25 लाख से अधिक परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार मिला, जिसमें गढ़वा जिला सबसे आगे रहा। अकेले गढ़वा में 2.79 लाख से अधिक बार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।

गढ़वा शीर्ष पर, गिरिडीह और देवघर भी प्रमुख

नीचे दिए गए आंकड़ों में अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच जिलेवार मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत परिवारों की संख्या दर्शाई गई है:

क्रम.सं.जिलारोजगार पाने वाले परिवारटिप्पणी
1️⃣गिरिडीह3,11,647राज्य में सर्वोच्च
2️⃣गढ़वा2,79,051राज्य में दूसरा स्थान
3️⃣देवघर2,10,980
4️⃣लातेहार1,92,896
5️⃣चतरा1,87,997
6️⃣साहेबगंज98,208
7️⃣कोडरमा61,368
8️⃣खूंटी44,801
9️⃣लोहरदगा37,785🔻 राज्य में सबसे कम में शामिल


गिरिडीह भले ही कुल रोजगार में गढ़वा से आगे है, लेकिन राज्य सरकार की रिपोर्ट में गढ़वा को रोजगार सृजन की बारंबारता में सर्वोच्च स्थान दिया गया है।

MGNREGA Jharkhand 2025 : जुलाई में रोजगार में भारी गिरावट, जानें कारण

जहां अप्रैल, मई और जून के महीनों में औसतन 10 लाख से अधिक परिवारों को काम मिला, वहीं जुलाई में यह आंकड़ा घटकर केवल 97,960 रह गया। ग्रामीण विकास विशेषज्ञों का मानना है कि जुलाई में मानसून की शुरुआत के साथ ग्रामीणों का ध्यान खेती-बाड़ी की ओर मुड़ जाता है, जिससे मनरेगा में श्रमिकों की भागीदारी घटती है।

जिलाअप्रैलमईजून
बोकारो34,87440,18333,332
चतरा48,97678,66557,225
देवघर57,44870,47976,445
धनबाद28,36036,96935,685
दुमका46,39357,58846,103
पूर्वी सिंहभूम26,99231,89629,909
गढ़वा1,01,6701,02,34074,903
गिरिडीह89,0941,08,6011,06,778
गोड्डा35,29240,69138,327
गुमला30,44833,82129,996
हजारीबाग41,08558,14564,150
जामताड़ा52,29663,93254,480
खूंटी11,81915,20113,838
कोडरमा18,55721,10521,257
लातेहार57,82965,27957,873
लोहरदगा10,26313,08111,339
पाकुड़30,05235,96825,469
पलामू56,41064,64361,752
रामगढ़14,30317,32821,216
रांची35,41940,08633,679
साहेबगंज30,93937,10730,452
सरायकेला खरसावां29,12232,71223,827
सिमडेगा25,48928,95329,598
पश्चिमी सिंहभूम38,82445,68040,415
कुल9,51,95411,40,45310,18,048

आर्थिक स्थिरता और रोजगार सुरक्षा में सहायक

मनरेगा ने एक बार फिर साबित किया है कि यह ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला स्तंभ है। गढ़वा, गिरिडीह और देवघर जैसे जिले इसका सबसे प्रभावशाली उदाहरण हैं। हालांकि, जुलाई में आई गिरावट के पीछे मौसमी बदलाव एक स्वाभाविक वजह मानी जा रही है। राज्य सरकार यदि इस योजना को और व्यवस्थित ढंग से लागू करती रही, तो ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता और रोजगार सुरक्षा का स्तर और बेहतर हो सकता है।

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