चेन्नईः तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल आरएन रवि पर तमिल भाषा और तमिलनाडु का अपमान करने का आरोप लगाते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग की है। यह मामला राज्यगीत “तमिल थाई वज्थु” से संबंधित है, जिसमें से “द्रविड़” शब्द हटाए जाने की शिकायत की गई है।
क्या है पूरा मामला
18 अक्टूबर को चेन्नई के दूरदर्शन कार्यालय में हिंदी माह समापन समारोह आयोजित किया गया, जिसमें राज्यपाल आरएन रवि भी उपस्थित थे। समारोह के दौरान, “तमिल थाई वज्थु” गाया गया, लेकिन इस गीत की एक पंक्ति, जिसमें द्रविड़ भूमि की महानता का संदर्भ था—”थेक्कनमुम अधीरसिरंधा द्रविड़ नाल थिरुनादुम”—हटा दी गई। इस घटना पर स्टालिन ने कड़ा विरोध किया है।
स्टालिन ने एक पोस्ट में कहा है कि जो व्यक्ति कानून के अनुसार नहीं चलता और अपनी इच्छानुसार काम करता है, वह उस पद पर रहने के योग्य नहीं है। उन्होंने कहा, “भारत का जश्न मनाने के नाम पर राज्यपाल ने देश की एकता और विभिन्न जातियों के लोगों का अपमान किया है। क्या वे द्रविड़ शब्द को राष्ट्रगान से भी हटाने के लिए कहेंगे? केंद्र सरकार को तत्काल राज्यपाल को वापस बुलाना चाहिए।”
राज्यपाल का जवाब
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, तमिलनाडु राजभवन ने एक बयान जारी किया, जिसमें राज्यपाल आरएन रवि ने कहा कि स्टालिन ने उनके खिलाफ नस्लवादी टिप्पणी की है और राज्य गीत के प्रति अनादर का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सभी समारोहों में राज्य गीत को सही तरीके से पढ़ते हैं। रवि ने कहा, “स्टालिन ने मेरे खिलाफ अस्वीकृत बयान दिया है।” इसके बाद, स्टालिन ने एक बार फिर बयान देते हुए कहा, “क्या आपको तुरंत उनकी निंदा नहीं करनी चाहिए? आपने मौके पर ही गलती क्यों नहीं बताई? क्या आप उन्हें ठीक से गाना सिखा सकते थे? अगर आपने ऐसा किया होता, तो क्या प्रतिक्रिया होती?”
आयोजकों ने दी सफाई
स्टालिन के मीडिया सलाहकार थिरुगनाना संबंदम ने अपने पोस्ट में कहा कि कार्यक्रम में अंजाने में एक पंक्ति छूट गई थी, जो आयोजकों के ध्यान में लाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल केवल समारोह में शामिल हुए थे और द्रविड़ शब्द को हटाने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। इसके बाद, दूरदर्शन ने भी स्पष्टीकरण जारी किया कि राज्यपाल हिंदी माह समापन समारोह में शामिल होने आए थे और प्रस्तुति के दौरान ध्यान भटकने के कारण एक पंक्ति छूट गई।
माना जा रहा है कि इस पूरे विवाद ने एक बार फिर तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच बढ़ते तनाव को उजागर किया है। एमके स्टालिन की राज्यपाल के खिलाफ उठाई गई आवाज़ और इस मुद्दे पर उनके बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में भाषा और संस्कृति को लेकर संवेदनशीलता बरकरार है। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।