सेंट्रल डेस्क : उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस बार हुए महाकुंभ में कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बने हैं। 44 दिनों के इस महान धार्मिक आयोजन में 65 करोड़ से भी अधिक भक्तों ने संगम में डुबकी लगाई। यह संख्या भारत और चीन की कुल जनसंख्या से कम है, लेकिन पूरी दुनिया के कई देशों की आबादी से कहीं ज्यादा है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इस महाकुंभ में कौन-कौन से रिकॉर्ड बने हैं और यह आयोजन कितने बड़े पैमाने पर हुआ।
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक जुटाव का रिकॉर्ड
महाकुंभ दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में से एक माना जाता है। इस आयोजन में एक साथ लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। प्रयागराज में हुए इस महाकुंभ में 44 दिनों के भीतर 65 करोड़ से ज्यादा भक्तों ने पवित्र डुबकी लगाई, जो भारत और चीन की जनसंख्या से कम है। भारत की अनुमानित जनसंख्या 145 करोड़ है, जबकि चीन की 141 करोड़ है। महाकुंभ में पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या, अमेरिका (34.5 करोड़), पाकिस्तान (25.12 करोड़), और रूस (14 करोड़) जैसे देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
तीन महाद्वीपों से अधिक रही संख्या
इस महाकुंभ की भीड़ को अगर हम दुनिया के विभिन्न महाद्वीपों और देशों की जनसंख्या से तुलना करें तो यह और भी अद्भुत नजर आती है। 44 दिनों में प्रयागराज में जितने लोग पहुंचे, वह तीन महाद्वीपों – ऑस्ट्रेलिया, उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका से ज्यादा हैं। इसके अलावा यूरोप की जनसंख्या भी इस संख्या से कम रही, अगर रूस को छोड़ दिया जाए तो।
महाकुंभ के इस बार के आयोजन में जुटी भीड़ का आकार इतना बड़ा था कि यह दुनिया के 234 देशों और द्वीपों की जनसंख्या से भी ज्यादा था। केवल भारत और चीन ही ऐसे देश हैं, जिनकी जनसंख्या इस आंकड़े से अधिक रही है। महाकुंभ में जुटी भीड़ अमेरिका, इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसी बड़ी आबादियों से भी कई गुना बड़ी थी। इस आयोजन ने एक नया मानक स्थापित किया है कि एक जगह पर इतनी बड़ी संख्या में लोग जुट सकते हैं।
स्वच्छता के बने कई रिकॉर्ड
महाकुंभ में स्वच्छता को लेकर भी कई रिकॉर्ड बने हैं। 24 फरवरी को करीब 15,000 स्वच्छता कर्मियों ने एक साथ 10 किलोमीटर क्षेत्र में सफाई का रिकॉर्ड बनाया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड द्वारा इस रिकॉर्ड की मान्यता 28 फरवरी को मिलने की संभावना है। इससे पहले, 2019 के अर्धकुंभ में 10,000 सफाई कर्मियों ने संगम सहित अन्य स्थानों पर सफाई अभियान चलाया था।
नदी सफाई के रिकॉर्ड
14 फरवरी को प्रयागराज में नदी सफाई का एक और रिकॉर्ड बना था, जब 300 सफाई कर्मियों ने मिलकर नदी की सफाई की थी। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने इसे अपनी सूची में शामिल किया है।
हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग का रिकॉर्ड
महाकुंभ में एक और अद्वितीय रिकॉर्ड बनाते हुए 10,109 लोगों ने अपने हाथ के पंजों के निशान के जरिए एक पेंटिंग बनाई। इस रिकॉर्ड के जरिए लोगों ने महाकुंभ के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था व्यक्त की। यह रिकॉर्ड 2019 के अर्धकुंभ में बने हैंड प्रिंटिंग के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए स्थापित हुआ है, जब 7,500 लोगों ने हाथ के निशान दिए थे।
बसों के संचालन का रिकॉर्ड
महाकुंभ के आखिरी दिन 700 शटल बसों के संचालन का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया। इससे पहले 2019 के अर्धकुंभ में 500 बसों के संचालन का रिकॉर्ड था। अब इस आयोजन में एक दिन में सबसे ज्यादा बसों का संचालन करने का रिकॉर्ड भी दर्ज किया जाएगा।
मौनी अमावस्या पर जुटी दुनिया की सबसे बड़ी भीड़
महाकुंभ के सबसे खास दिनों में से एक था मौनी अमावस्या का दिन, जब करीब 7.6 करोड़ लोग संगम में स्नान करने के लिए पहुंचे। यह एक दिन में किसी भी धार्मिक आयोजन में जुटी सबसे बड़ी भीड़ का रिकॉर्ड बन गया। इस दिन प्रयागराज की सामान्य जनसंख्या करीब 1 करोड़ है, लेकिन उस दिन जिले में करीब 8.6 करोड़ लोग जुटे थे। इस आंकड़े से यह भी जाहिर होता है कि जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, और अन्य यूरोपीय देशों की जनसंख्या भी इस दिन की भीड़ से कम थी। केवल अमेरिका, ब्राजील और मैक्सिको जैसी बड़ी आबादियों वाले देशों की जनसंख्या ही इस दिन की भीड़ से ज्यादा थी।
महाकुंभ में बने अन्य रिकॉर्ड
- महाकुंभ में 44 दिनों में 65 करोड़ से अधिक लोग पहुंचे, यानी औसतन हर दिन 1.5 करोड़ लोग संगम में स्नान के लिए आए।
- महाकुंभ के लिए प्रयागराज से 15,000 से ज्यादा ट्रेनें चलाई गईं, जो इस आयोजन को और भी विशाल बनाने का एक बड़ा कारण बना।
- महाकुंभ में हर दिन श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का प्रबंधन किया गया, जिसमें पानी, भोजन, शौचालय, सुरक्षा और मेडिकल सुविधाओं का खास ध्यान रखा गया।
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