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Seminar on Muslim Law : जस्टिस एसएन पाठक बोले-आई सैल्यीयुट इस्लामिक लॉ

by Rakesh Pandey
Muslim Law
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रांची /Seminar on Muslim Law : आई सैल्यीयुट इस्लामिक लॉ। मुस्लिम लॉ 1937 में बना। लेकिन एक-एक चीज का इस लॉ में ख्याल रखा गया है। कुरान ने कहा अपना मसला बैठकर सुलझाओ। कोर्ट ने कहा पहले अपना मामला मध्यछता से सुलझाओं। कोई भी धर्म गलत करने नहीं सिखाता। ये बातें झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक ने कहीं।

वे गुरुवार को गोस्सनर कॉलेज थियोलॉजिकल हॉल में आयोजित ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज हम जिस समाज जिस देश में हैं वहा रह रहे एक दूसरे के बारे में जानने की। ऑल  इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड 40 वर्ष से ज्यादा काम कर रही है।

 जस्टिस एसएन पाठक बोले-आई सैल्यीयुट Muslim Law

बोर्ड मुस्लिम समाज को यूनाइटेड करता है। शरीयत ने विरासत यानी बटवारा के बारे में छोटी छोटी जानकारी दी। अल्लाह के नजदीक सबसे ना पसंद अमल है तलाक। तलाक से बचने को कुरान व हदीस ने कहा। शरीयत ने महिलाओं को खर्च करने की जिम्मेदारी नहीं दी। सिर्फ मर्दों को यह जिम्मेदारी दी। इस के बारे में जानने की जरूरत है। बता दें कि गुरुवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तत्वाधान में गोस्सनर कॉलेज थियोलॉजिकल हॉल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता आलम हॉस्पिटल के निदेशक डॉक्टर मजीद आलम ने की।

कार्यक्रम का संचालन मौलाना रिजवान दानिश ने किया। सेमिनार का विषय है मुस्लिम लॉ में उत्तराधिकारी व परिवारिक विवाह। इस सेमिनार के मुख्य अतिथि झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश डॉक्टर एसएन पाठक थे। विशिष्ट अतिथि मुफ्ती उमर आबिदीन, अधिवक्ता ए अल्लाम, मुफ्ती नजरे तौहीद, बिपिन कुमार पानी थे। कार्यक्रम में आए अतिथियों का गुलदस्ता देकर स्वागत किया गया। रियाज शरीफ ने स्वागत संबोधन दिया। वहीं लखनऊ से आए हजरत मौलाना उमर आबिदीन ने शरियत लॉ की पूरी जानकारी दी।

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हर मजहब हर समाज में पर्सनल लॉ : मुफ्ती नजरे तौहीद

वहीं मुफ्ती नजरे तौहीद ने अपने संबोधन में कहा कि हर मजहब हर समाज में पर्सनल लॉ है। 1937 में अंग्रेजो ने मुस्लिम लॉ बनाया। महिला से ज्यादा मर्दों की जिम्मेदारी खर्च की है। अगर वो पिता है तो बेटा बेटी की जिम्मेदारी, पति है तो पत्नी की जिम्मेदारी, भाई है तो बहन की जिम्मेदारी, दादा है तो पोता पोती की जिम्मेदारी होती है। वहीं महिलाओं को खर्च की जिम्मेदारी नहीं है। अगर मुसलमान कुरान हदीस पर अमल करे तो कोई दिक्कत नही होगी। वहीं बिपिन कुमार पानी ने अपने संबोधन में कहा कि कोई भी लॉ जोड़ने के लिए होता है तोड़ने के लिए नही। तलाक शब्द परिवार को तोड़ता है, जोड़ता नहीं।

Muslim Law की जानकारी साझा करना सेमीनार का उद्देशय : अधिवक्ता मुमताज अहमद खान

वहीं अधिवक्ता मुमताज अहमद खान ने अपने संबोधन में कहा कि इस सेमिनार का उद्देशय है मुस्लिम लॉ के बारे जानकारी साझा करना। मुस्लिम लॉ में महिलाओं का ज्यादा हक दिया है और मां के पैरो के नीचे जन्नत कहा है।

Muslim Law बहुत इंट्रेस्टिंग है : डॉक्टर संगीता लाहा

वहीं डॉक्टर संगीता लाहा ने कहा की मुस्लिम लॉ बहुत इंट्रेस्टिंग है। इस लॉ में सभी का ख्याल रखा गया है। वहीं एके रशीदी ने अपने संबोधन में कहा कि मुस्लिम लॉ के बारे में ज्यादा जानकारी एक दूसरे को बताना है। आज जरूरत है अपना मामला बैठकर हल करने का। वहीं अधिवक्ता ए अल्लाम ने अपने संबोधन में मुस्लिम लॉ के बारे में जानकारी दी। वहीं मुफ्ती इम्तियाज ने मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी का पैगाम पढ़ा। धन्यवाद ज्ञापन अधिवक्ता हामिद रजा खान ने की।

ये थे उपस्थित

इस मौके पर अधिवक्ता अजहर खान, अधिवक्ता हाफीजुद्दीन अंसारी, अधिवक्ता मजहरूल हक, अधिवक्ता अब्दुल रऊफ अंसारी, अधिवक्ता गुफरान खान, अधिवक्ता हिमायू रशीद, अधिवक्ता सलीम इब्राहिम खान, अधिवक्ता नसर इमाम, अधिवक्ता सुल्तान खान, अधिवक्ता शीश आलम, अधिवक्ता अजहर खान, अधिवक्ता हैदर अली, अधिवक्ता विजल रहमान, अधिवक्ता मोहम्मद तबरेज, अधिवक्ता महफूज आलम, अधिवक्ता परवेज आलम, अधिवक्ता रजाउल्लाह, कर्नल खालिद खान, मुंशी राम, मुदब्बिर हुसैन, मुख्तार खान, हैदर इमाम, सरफराज खान, हाजी मुख्तार, पीके भट्टा चार्य, बेलाल अहमद खान, समेत कई लोग थे।

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