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70 घंटे वर्क वीक की सिफारिश करने वाले नारायण मूर्ति की कंपनी को हुआ 1 दिन में 1850 करोड़ रुपये का नुकसान

इस मामले में इंफोसिस प्रबंधन का कहना है कि ग्राहक लागत-कटौती वाले सौदों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। BFSI और रिटेल सेक्टर में सुधार और विवेकाधीन खर्चों में बढ़ोतरी के संकेत देख रहे हैं, जो आगे चलकर कंपनी के प्रदर्शन को बेहतर कर सकते हैं।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। इन दिनों नौकरीपेशा लोगों के बीच काम करने के घंटे को लेकर बड़ी चर्चाएं हो रही है। इसकी शुरूआत इंफोसिस चीफ नारायण मूर्ति ने सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सिफारिश से की और फिर इसमें एल एंड टी के निदेशक ने 90 घंटे की सिफारिश कर मुद्दे को ज्वलंत बना दिया।

4.06 प्रतिशत की भागीदारी है मूर्ति परिवार की

अब खबर है कि नारायण मूर्ति की कंपनी इंफोसिस को करोड़ों के घाटे का सामना करना पड़ा रहा है। कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई है। इंफोसिस के शेयरों में आई 6 फीसदी की गिरावट से कंपनी को 1850 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। बता दें कि कंपनी में उनकी 4.06 प्रतिशत की भागदारी है। क्वार्टर 3 के मजबूत नतीजों के बावजूद कंपनी की कीमत घटकर 30,300 करोड़ रुपये रह गई है।

करीब 6% की गिरावट ने न केवल आईटी सेक्टर के अन्य शेयरों और प्रमुख सूचकांकों जैसे सेंसेक्स और निफ्टी पर असर डाला, बल्कि कंपनी के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और उनके परिवार की संपत्ति को भी प्रभावित किया। सितंबर तिमाही के अंत में मूर्ति के पास कंपनी में 0.40% हिस्सेदारी थी, जबकि उनकी पत्नी सुधा मूर्ति के पास 0.92% हिस्सेदारी थी।

नारायण मूर्ति के बेटे रोहन मूर्ति और बेटी अक्षता मूर्ति, जो पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं, के पास क्रमशः 1.62% और 1.04% हिस्सेदारी थी। उनके पोते एकाग्रह मूर्ति के पास भी 0.04% हिस्सेदारी थी। मूर्ति परिवार के पास कुल 4.02% हिस्सेदारी थी, जिसकी कीमत गुरुवार को करीब ₹32,152 करोड़ थी। शुक्रवार को शेयरों की गिरावट के बाद यह घटकर ₹30,300 करोड़ रह गई, जिससे परिवार की संपत्ति में ₹1,850 करोड़ का नुकसान दर्ज किया गया।

इंफोसिस प्रबंधन ने कहा…..

Q3 में बड़े सौदों की अनुपस्थिति और FY26 में दोहरे अंकों की वृद्धि की संभावनाओं को लेकर अनिश्चितता ने इंवेस्टर्स की चिंताओं को बढ़ा दिया। इसके साथ ही FY25 के लिए राजस्व मार्गदर्शन में सुधार के बावजूद, Q4 में मौसमी कमजोरी और तीसरे पक्ष के राजस्व में गिरावट की संभावना बनी हुई है।
इस मामले में इंफोसिस प्रबंधन का कहना है कि ग्राहक लागत-कटौती वाले सौदों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। हालांकि, वे BFSI और रिटेल सेक्टर में सुधार और विवेकाधीन खर्चों में बढ़ोतरी के संकेत देख रहे हैं, जो आगे चलकर कंपनी के प्रदर्शन को बेहतर कर सकते हैं।

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