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National Civil Service Day Special: पढ़िए एक ऐसे IAS की कहानी, जिसने आदिवासी बच्चों के लिए फ्लाइट से मंगाईं किताबें, ताकि…

by Dr. Brajesh Mishra
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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों आज सम्मानित होंगे झारखंड के 2012 बैच के आइएएस रवि शंकर शुक्ला
  • सुदूर क्षेत्रों से आने वाले बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए कर रहे अभिनव प्रयोग, जमकर मिली सराहना


रांची : झारखंड कैडर के 2012 बैच के आइएएस रवि शंकर शुक्ला को सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में सम्मानित करेंगे। आकांक्षी प्रखंड के अंतर्गत सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड में किए गये बेहतर कार्य के लिए रवि शंकर शुक्ला को ‘प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 2024’ दिया जायेगा। इससे पहले दुमका जिले में लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन में इनके कार्यों के लिए राष्ट्रपति की ओर से भूमि पुरस्कार प्रदान किया जा चुका है।

वर्ष 2024 में राज्यपाल ने उन्हें नेशनल वोटर डे पर बेहतर सेवा के लिए सम्मानित किया था। हजारीबाग के उपायुक्त रहते हुए स्वच्छता के लिए कार्य के लिए भी रवि शंकर शुक्ला राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान प्राप्त कर चुके हैं। अपने अभिनव प्रयोग के लिए ये हमेशा से चर्चा में रहे हैं। सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों विशेषकर आदिवासी बच्चों को अंग्रेजी भाषा में दक्ष बनाने के लिए उन्होंने सीएसआर के जरिए फ्लाइट से किताबें मंगवाकर उपलब्ध कराईं। बकायदा अलग-अलग मंचों पर कई बार उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि उनका लक्ष्य है कि झारखंड के सुदूर गांव के घर-घर से आइएएस आइपीएस निकलें और देश की सेवा करें।

क्यों मंगवानी पड़ी थीं फ्लाइट से किताबें


सरायकेला-खरसावां जिले के उपायुक्त के तौर पर रवि शंकर शुक्ला की ओर से बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए अलग-अलग कई कार्यक्रम आयोजित कराए गए। किताबों के प्रति रुचि पैदा करने के लिए साहित्य सम्मेलन का आयोजन कराया गया। इस दौरान यह बात सामने सामने आई कि सुदूर आदिवासी क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को अंग्रेजी भाषा सीखने में परेशानी हो रही है। इस बात को ध्यान में रखकर रवि शंकर शुक्ला ने तय किया कि वह अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आने वाली कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं सहित सरकारी स्कूलों के बच्चों और महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं को अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोष उपलब्ध कराएंगे। इसके लिए एक-एक कार्यशाला में 400 से 500 शब्दकोष की आवश्यकता थी।

झारखंड के अलग-अलग पुस्तक विक्रेताओं से बातचीत और संपर्क करने के बाद पता चला कि एक बार में इतनी बड़ी संख्या में इंग्लिश टू हिंदी डिक्शनरी उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है। इसके बाद झारखंड के पड़ोसी राज्यों में इसकी खोज कराई गई। पता चला कि पड़ोसी राज्य ओडिशा, बंगाल और बिहार से इस मांग को पूरा कराया जा सकता है। इसके बाद पुस्तक विक्रेताओं से अनुरोध कर बच्चों को देने के लिए फ्लाइट से किताबें मंगाई गईं। जिसकी वजह से निर्धारित तिथि पर इसका वितरण हो सका। रवि शंकर शुक्ला के इस प्रयास को विभिन्न सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओं ने खुले मन से सराहा। अलग-अलग संगठनों की ओर से उन्हें इस कार्य के लिए अलग-अलग मंचों पर सम्मानित किया गया।

अलग-अलग जिलों में पुस्तकालयों को कराया समृद्ध


रवि शंकर शुक्ला को उपायुक्त के रूप में अपनी सेवाओं के दौरान झारखंड के अलग-अलग जिलों में कई पुस्तकालयों का कायाकल्प करने का श्रेय भी जाता है। वर्तमान में इन पुस्तकालयों से हजारों बच्चे पढ़ाई कर पा रहे हैं। दुमका और सरायकेला-खरसावां के पुस्तकालय को भी काफी समृद्ध बनाया गया है। बच्चों के पठन-पाठन और व्यक्तित्व विकास के लिए किए जा रहे रवि शंकर शुक्ला के कार्य को देखकर राज्य के दूसरे कई आइएएस, आइपीएस, आइएफएस अधिकारी व राज्य सेवा से आने वाले अधिकारी बकायदा टीम के तौर पर मिलकर यह कार्य कर रहे हैं।

कौन हैं आइएएस रवि शंकर शुक्ला


रवि शंकर शुक्ला का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का रहने वाला है। पिता न्यायिक सेवा में रहे हैं। रवि शंकर शुक्ला ने झारखंड के अलग-अलग जिलों में उपायुक्त के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। वह पूर्व में लातेहार, हजारीबाग, पूर्वी सिंहभूम, दुमका के डीसी रहे हैं। रवि शंकर शुक्ला की पत्नी नेहा अरोड़ा भी झारखंड के 2012 बैच की आइएएस अधिकारी हैं।

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