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मिशन गगनयान के लिए चुने गए एस्ट्रोनॉट, जानिए इनके बारे में

by Rakesh Pandey
Mission Gaganyan
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स्पेशल डेस्क : भारत के ‘मिशन गगनयान’ (ISRO Mission Gaganyan) पर तेजी से काम चल रहा है। इसरो का लक्ष्य साल 2025 तक स्पेस में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का है, इसी मिशन का नाम गगनयान है। कौन-से चार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा, इनको पीएम मोदी ने खुद देश के सामने पेश किया। पीएम मोदी ने आज खुद चारों एस्ट्रोनॉट को अपने हाथों से एस्ट्रोनॉट विंग्स पहनाए। इनके नाम प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजित कृष्णन और शुभांशु शुक्ला हैं।

पीएम मोदी ने क्या कहा?

पीएम मोदी ने कहा कि ये सिर्फ चार नाम और चार इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ एस्प्रेशंस को स्पेस में ले जाने वाली चार शक्तियां हैं। उन्होंने कहा कि 40 सालों के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है, लेकिन इस बार टाइम भी हमारा और काउनडाउन भी हमारा होगा और रॉकेट भी हमारा ही है। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया से चारों अंतरिक्ष यात्रियों को ज्यादा हाईलाइट न करने की अपील की है।

कौन हैं चारों अंतरिक्ष यात्री?

गगनयान मिशन के लिए जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है, वे चारों भारतीय वायुसेना के पायलट हैं। इन चारों पायलटों को इस मिशन के लिए इसलिए चुना गया, क्योंकि ये सभी अंतरिक्ष की परिस्थिति से वाकिफ होते हैं। जिन पायलटों को गगनयान मिशन में एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया है, उनमें प्रशांत नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन और शुभांशु शुक्ला शामिल हैं।

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर (Mission Gaganyan)

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के तिरुवजियाड में हुआ था। वो NDA के पूर्व छात्र हैं और वायुसेना अकादमी में स्वोर्ड ऑफ ऑनर के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वो एक कैट ए फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 3000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।

उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के एसी उड़ाए हैं। वे यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र और DSSC, वेलिंगटन और FIS में DS भी हैं। उन्होंने एक प्रमुख लड़ाकू विमान Su-30 Sqn की कमान संभाली है।

अजीत कृष्णन वायुसेना के टेस्ट पायलट

वहीं, अजीत कृष्णन वायुसेना के टेस्ट पायलट हैं। अजीत भी प्रशांत बालाकृष्णन की तरह ही एयरफोर्स में ग्रुप कैप्टन के रूप में कार्यरत हैं। अंगद प्रताप वायुसेना में फाइटर और टेस्ट पायलट हैं। वे भी ग्रुप कैप्टन के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। वहीं, शुभांशु शुक्ला वायु सेना में विंग कमांडर के तौर पर सेवाएं दे रहे हैं। इन चारों पायलटों को वायु सेना के 100 पायलटों में से चुना गया है।

प्रधानमंत्री ने महिलाओं की भूमिका पर भी दिया जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व और खुशी है कि गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में उपयोग किए गए अधिकतर पुर्जे भारत में बने हैं। प्रधानमंत्री ने देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महिलाओं द्वारा निभाई गई ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि चंद्रयान और गगनयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों में महिलाएं अहम हिस्सा हैं और उनके बिना यह संभव नहीं होता।

पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की सफलता न केवल देश की युवा पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच के बीज बो रही है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण विकासात्मक प्रगति से 21वीं सदी में एक बड़े वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभरने में भी मदद मिल रही है।

400 किमी की कक्षा में होगा लॉन्च

गगनयान के तीन दिवसीय मिशन के लिए चालक दल के सदस्यों को 400 किमी. की कक्षा में लॉन्च किया जाना है। इस मिशन के जरिए इन्हें भारतीय समुद्री जल में उन्हें सुरक्षित रूप से उतारकर वापस पृथ्वी पर लाकर मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता का प्रदर्शन करने की योजना है। इसरो ने पहले मानवरहित गगनयान (जी) मिशन के लिए पहचाने गए उड़ान इंजन के परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है, जो अस्थायी रूप से 2024 की दूसरी तिमाही के लिए निर्धारित है।

यह इंजन मानव-युक्त एलवीएम3 वाहन के ऊपरी चरण को शक्ति प्रदान करेगा और इसकी थ्रस्ट क्षमता 442.5 सेकंड के विशिष्ट आवेग के साथ 19 से 22 टन है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग और भारत के पहले सौर मिशन आदित्य-एला सफल प्रक्षेपण के साथ भारत 2023 में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया। अब गगनयान मिशन के जरिए एक और नया इतिहास रचने की तैयारी है।

भारत की अंतरिक्ष योजना में 2024-2025 में गगनयान मिशन, 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर पहले भारतीय को भेजना शामिल है।

ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला

वहीं बाकी दो की बात करें तो ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था। वह 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त हुए थे। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित कई प्रकार के एयरक्रफ्ट उड़ाए हैं। साथ ही विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला का जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, यूपी में हुआ था।

उन्हें 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त किया गया था। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित कई प्रकार के एसी उड़ाए हैं।

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