नई दिल्ली: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में सुबह से शाम गुजार देते हैं। ऐसे में त्योहार के बहाने लोग खुशी के दो पल अपने परिवार के साथ बिताते हैं। जैसे ही त्योहारों का मौसम करीब आता है, हमारी धड़कनें तेज हो जाती हैं। यह समय खुशियों और जश्न का होता है। आज से नवरात्री शुरू हो गई है। भारत के हर कोने में, मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जा रही है। इन नौ दिनों में हर हिन्दू घर से अगरबत्ती की खुशबू, मंदिर की घंटी सुनाई देती है। दिलचस्प बात ये है, कि दुर्गा पूजा या दशहरा, सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी बड़े धूम-धाम से मनाई जाती है।
नेपाल
यहां दुर्गापूजा को ‘दशैं’ के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू देश नेपाल में इसे दस दिनों तक मनाया जाता है। यह देश भी इस त्यौहार को भारत की तरह ही मनाता है, और उत्सव के अधिकांश पैटर्न का पालन करता है। यहां, राजा इस भव्य 10-दिवसीय त्यौहार के दौरान एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यहां भी लोग अपने काम से छुट्टी लेकर अपने परिवार के साथ समय बिताते हैं। इसके साथ सभी सार्वजनिक संस्थान, स्कूल और कॉलेज बंद रहते हैं और बसें नहीं चलती हैं।
बांग्लादेश
भारत के पड़ोसी राज्य बांग्लादेश में भी दुर्गापूजा धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार यहां के लगभग हर शहर और जिले में मनाया जाता है। मंदिरों को देवी की मूर्तियों से सजाया जाता है, जहां भक्त प्रार्थना करने और शांति और समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगने जाते हैं।
यूनाइटेड किंगडम
दुर्गा पूजा यहां रहने वाले भारतीय समुदाय द्वारा बहुत उत्साह के साथ मनाई जाती है। कई आयोजक देवी दुर्गा की मूर्तियां आयात करते हैं और इस अवसर को सबसे प्रामाणिक बंगाली तरीके से मनाते हैं। यह समय लोगों को एक-दूसरे से जुड़ने और इस दौरान प्यार और एकता को दर्शाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका में दुर्गा पूजा बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में बंगाली भारतीय रहते हैं। इस 5 दिवसीय उत्सव का आयोजन यहां 1970 में शुरू हुआ था। यहां लोग इकट्ठा होते हैं, मिलते हैं, अभिवादन करते हैं और जश्न मनाने के लिए एक साथ समय बिताते हैं।
ऑस्ट्रेलिया
इस देश में रिकॉर्ड के अनुसार, दुर्गा पूजा की शुरुआत 1974 में न्यू साउथ वेल्स के 12 परिवारों की ओर से की गई थी। अब यह ऑस्ट्रेलिया के सभी प्रमुख शहरों में मनाई जाती है। सिडनी में, बहुत सारे बंगाली अप्रवासी और भारतीय प्रवासी के अन्य सदस्य पूजा के पहले दिन इकट्ठा होते हैं और आगे के उत्सवों की तैयारी करते हैं।